बिहार के सत्यम गांधी की कहानी – कोरोना वायरस पर भारी पड़ा दादा का दिखाया ख्वाब
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 9 Oct 2021, 2:25 pm IST
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हाइलाइट्स
- संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में बिहार के सत्यम गांधी ने देश भर में 10 वीं रैंक हासिल की है
- इंटरव्यू के ठीक पहले उन्हें कोविड हुआ था, लेकिन हताश हुए बिना उन्होंने बाजी मारी
- सत्यम के अनुसार योजनावार और निरंतरत अध्ययन ही सिविल सेवा परीक्षा पास करने की है कुंजी
- इस साल कुल 761 उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त की
- सत्यम गांधी, यूपीएससी-2020, 10 वीं रैंक
“मेरे दादा जी चाहते थे कि उनके परिवार से कोई कलेक्टर बने। दादा जी खुद मेरे प्रखंड के विश्वविद्यालय में ही सरकारी कर्मचारी थे। 80 के दशक में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन उनका बस एक ही ख्वाब था कि परिवार से कोई आईएएस बने। देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा के बीज, मेरे मन में दादा जी ने ही बोए थे। धीरे-धीरे मेरे लिए भी ये सपना बन गया, जिसे पूरा किए बिना शायद मुझे चैन नहीं मिलता।” ये कहते हुए सत्यम गांधी जाहिर नहीं होने देते हैं, लेकिन कहीं न कहीं थोड़े भावुक से जरूर होते हैं। यूपीएससी परीक्षा-2020 में देश भर में 10 वीं रैंक के साथ सफलता का परचम लहराने वाले सत्यम गांधी अब अपने दादा के दशकों पुराने ख्वाब को पूरा कर चुके हैं।
लेकिन सिर्फ 22 साल की छोटी सी उम्र में यूपीएससी पास करने वाले सत्यम की यात्रा दिन-रात मेहनत और कड़े अनुशासन का नतीजा है। सत्यम के फोन पर कई-कई हफ्तों तक सिर्फ एक ही नंबर से फोन आता था, वो था उनकी मां का। अधिकतर वक्त उनका फोन ऑफ रहता था, और पिछले 2 साल से सोशल मीडिया से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।
जैसा कि इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से सत्यम खुद कहते हैं कि जब आप एक बार दिल से पढ़ाई में लग जाएंगे तो जिनकी आपको जरूरत नहीं है, वो लोग खुद ही आप से दूर हो जाएंगे।
यूपीएससी के सभी अभ्यर्थियों के लिए कोरोना का वक्त बहुत मुश्किल था, लेकिन सत्यम को तो इंटरव्यू के ठीक पहले कोविड हुआ था। मानसिक और शारीरिक रूप से यह बहुत मुश्किल वक्त था। ढेर सारा पैसा खर्च होना और अंदर तक बैठा डर का अहसास, हर पल भयावह था। लेकिन उसे जीतकर आना और फिर यूपीएससी जैसी परीक्षा में अव्वल रहना, हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।
शुरुआत
सत्यम गांधी बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं। उनका पैतृक गांव दिघड़ा जिले के पूसा ब्लॉक में है। यहीं उनका पूरा परिवार रहता है। सत्यम के पिता ‘ग्रुप सी’ के सरकारी कर्मचारी हैं और पूसा प्रखंड में ही स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में टेक्निकल सहायक के तौर पर काम करते हैं। उनकी मां ग्रहणी हैं। जबकि उनसे एक साल छोटा भाई अभी स्नातक कर रहा है।
परिवार
सत्यम का परिवार उनकी हर मुश्किल में ढाल की तरह उनके साथ रहा। कोरोना की पहली लहर में सत्यम अपने गांव में ही थे। वो बताते हैं कि घर पर पढ़ाई उतनी नहीं हो पायी, जितनी दिल्ली में रूम पर होती थी। लेकिन परिवार के साथ रहकर वो मानसिक रूप से बेहतर बने रहे। पर जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तो अपने साथ समस्याओं का पहाड़ लेकर आई, क्योंकि साक्षात्कार के ठीक पहले ही सत्यम खुद पॉजिटिव हो गए। लगभग एक महीने तक बेड पर ही रहे और धीरे-धीरे रिकवर हुए। उस स्थिति से उबरने में परिवार ने हर संभव मदद की।
शिक्षा
सत्यम की प्राथमिक पढ़ाई बिहार से ही हुई है। वो स्कूल के दिनों से ही टॉपर थे और कॉलेज में अपने बैच के डिपार्टमेंट टॉपर भी रहे। हालांकि सत्यम के अनुसार वो कभी किताबी कीड़ा नहीं रहे और स्कूल-कॉलेज लाइफ के हर फील्ड को उन्होंने एक्सप्लोर किया।
समस्तीपुर जिले के केंद्रीय विद्यालय से उन्होंने अपनी स्कूलिंग की और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान (पॉलिटिकल साइंस) में बीए ऑनर्स किया। पिछले साल ही उनका स्नातक पूरा हुआ था। सत्यम ने स्नातक के तीसरे साल में प्रवेश करते ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। और 2 साल बाद ही उन्होंने भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा पास कर ली।
यूपीएससी की तैयारी
सत्यम ने अपनी तैयारी के लिए बेहद अनुशासित और साफ रवैया अपनाया। उन्होंने दिल्ली में कोचिंग भी की, लेकिन सेल्फ स्टडी पे उन्हें अधिक भरोसा था और वही उनका मुख्य फोकस रहा। उनका वैकल्पिक विषय लंबा और थोड़ा कठिन माना जाने वाला ‘राजनीति विज्ञान व अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ (पीएसआईआर) था।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए सत्यम कहते हैं, “12 वीं तक मैं विज्ञान संकाय से पढ़ा और स्नातक ह्यूमैनिटीज (मानविकी) विषय से था। लेकिन मेरी राजनीति विज्ञान में रुचि थी। इसीलिए पहले से ही तय किया था कि आगे भी इसी विषय से पढ़ाई करूंगा। हां, पीएसआईआर का सिलेबस थोड़ा बड़ा है, इससे इंकार नहीं। और हर साल बहुत सारा नया मैटर भी इस विषय में जुड़ जाता है, इसीलिए ये विषय थोड़ा लंबा लगता है। लेकिन मेरी शैक्षणिक पृष्ठभूमि राजनीति विज्ञान की रही है, इसीलिए मैंने इस विषय को चुना और मुझे कोई विशेष दिक्कत नहीं हुई। मैंने इसके लिए कोई कोचिंग भी नहीं की, बल्कि खुद से ही पढ़ाई की। मैंने इसके लिए सुझाई गई स्टैंडर्ड किताबों से पढ़ाई की। नोट्स बना के बार-बार आन्सर लिखे। मैंने इंग्लिश में ही अपनी लिखित परीक्षा लिखी थी।”
सत्यम का मॉक टेस्ट पर भी विशेष जोर था। उन्होंने खुद भी बहुत से मॉक टेस्ट दिये, जिससे उन्हें अपने कमजोर पहलुओं के बारे में पता चला और उन्हें ठीक करने का मौका मिला।
प्री: प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के लिए सत्यम का कहना है कि जो भी स्टैंडर्ड बुक्स हैं, उनका जितना हो सके उतना बार-बार रिवीजन करें। जब तक कि किताब खुद न कह दे कि मुझे छोड़ दो (मुस्कुराते हुए), तब तक करते रहिए। आपने जो भी पढ़ा है, प्रश्न को हल करने में उसका इस्तेमाल करें। घबराएं बिलकुल नहीं, सबसे जरूरी है कि हर सवाल पर नजर रखें और विश्वास के साथ उसका उत्तर तलाशें। अर्थशास्त्र, राजनीति और इतिहास जैसे विषयों की तैयारी बेहतर तरीके से करें। करंट अफेयर्स पर खूब मेहनत कीजिये।
मेंस: सत्यम कहते हैं कि मेंस परीक्षा के लिए तो यही कहूंगा कि जो भी सिलेबस है, उसका आप विस्तार से नोट्स बना के बार बार-बार उसे पढ़ें। सबसे जरूरी है, आन्सर राइटिंग अभ्यास। इसके लिए शुरुआत से ही कोशिश करें। सामान्य अध्ययन पर भी विशेष ध्यान दें और उनके उत्तर लिखने का अभ्यास निरंतर करते रहें।
इंटरव्यू में जो सवाल पूछे गए!
अपने इंटरव्यू को लेकर इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से सत्यम कहते हैं, “सच कहूं तो इंटरव्यू देने के बाद मेरे अंदर फीलिंग थी कि मेरा अच्छा हुआ है। एक फीलगुड टाइप का अंदर कहीं न कहीं था, ऐसा आप बोल सकते हैं। मेरा इंटरव्यू लगभग 18 मिनट चला था। अधिकतर सवाल मेरी पृष्ठभूमि से ही थे। जैसे, मेरा मूल स्थान पूसा क्यों प्रसिद्ध है, उसका क्या विशेष महत्व है?
मैंने कॉलेज टाइम में ग्रामीण विकास क्षेत्र में रांची में जिला प्रशासन के साथ इंटरर्नशिप की थी, कुछ सवाल उससे संबन्धित पूछे थे। ग्रामीण विकास के क्षेत्र से सवाल पूछे, जो कि मेरा पसंदीदा विषय है। मेरी हॉबीज (रुचियां) फिल्म मेकिंग और विडियो एडिटिंग हैं, उससे कुछ सवाल पूछे। बाकी थोड़े बहुत सवाल अर्थशास्त्र के क्षेत्र से थे। अधिकतर सवालों में, मैं सहज था। कुछ बहुत अलग या अटपटे सवाल नहीं थे।”
यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए सलाह
यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए सलाह देने पर, सत्यम कहते हैं, “प्लान बना के पढ़ाई करें। महिना, सप्ताह और दिन, सभी का आपके पास प्लान होना चाहिए और उसके हिसाब से पढ़ें। व्यर्थ वक्त न गवाएं जो सबसे जरूरी है। रोज पढ़ें, क्योंकि निरंतरता सबसे जरूरी चीज है। साथ दोस्त हमेशा अच्छे रखें, उससे भी बहुत बदलाव आएगा।
मिशन
आईएएस बनने के बाद सत्यम समाज में क्या बदलाव लाना चाहेंगे, इस पर वो कहते हैं, “भविष्य में, मैं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम करना चाहता हूं। गांवों में स्व-रोजगार को बढ़ाना चाहता हूं। गांव में ही रोजगार के अवसर मिले, गांवों से लोगों का पलायन कम हो सके, शिक्षा के बेहतर विकास और गरीबी के उन्मूलन पर काम करने का प्रयास रहेगा। मैं बिहार की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हूं, इसलिए बिहार कैडर को ही प्राथमिकता देना चाहता हूं।”
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