कभी किसान रहे आईएएस माधव गिट्टे की कहानी, जिनके संघर्षों के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 27 Nov 2021, 4:38 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस माधव गिट्टे ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी-2019 परीक्षा में 210 वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की
- आर्थिक तंगी की वजह से माधव खेतों में मजदूरी करते थे, एक वक्त पर फीस के लिए खेत गिरवी रखने पड़े
- माधव की कहानी हर उस शक्स को जाननी चाहिए, जिसे लगता है कि वो बहुत मुश्किलों में घिरा हुआ है
किसी इंसान की सबसे मुश्किल परीक्षा क्या और कब होती है? शायद तब, जब वो घनघोर परेशानियों से घिरा हो और सफलता का कोई रास्ता उसे न दिख रहा हो। लेकिन यकीन मानिए, जो इस परीक्षा को किसी तरह पास कर आगे बढ़ जाता है, वो एक दिन सफलता के शीर्ष पर जरूर पहुंचता है। आईएएस माधव गिट्टे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिन हालातों से निकल कर उन्होंने आईएएस का ख्वाब पूरा किया, आम तौर पर उन हालातों में व्यक्ति हार मान जाता है। लेकिन माधव गिट्टे तो किसी और मिट्टी के ही बने थे। एक वक्त ऐसा भी जब उनकी पढ़ाई छूट गयी, परिस्थितियां ऐसी बनी कि घर से लेकर खेत तक गिरवी रखने पड़े, खुद माधव ने खेतों में मजदूरी की। बेहद कम उम्र में, उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया। लेकिन इन सबके बावजूद माधव ने सपने देखे नहीं छोड़े और अपनी मेहनत व जज्बे से यूपीएससी-2019 परीक्षा में 210 वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की।
माधव कहते हैं, “यूपीएससी की तैयारी कर रहे लोगों को मेरी यही सलाह है कि कोई भी कारण या परिस्थिति आपकी सफलता की राह का रोड़ा नहीं बन सकती। अगर आपने ठान लिया है और जिद बना ली है, तो निश्चित है कि एक दिन आपको सफलता जरूरी मिलेगी।”
शुरुआत
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले से आने वाले के माधव गिट्टे के पिता एक छोटे किसान हैं। उनके पिता के पास चार एकड़ खेत है, उसी में वो खेती करते हैं। माधव के तीन बहन व दो भाई हैं। खेती से परिवार का गुजारा नहीं चलता था, इसलिए अपने खेतों में काम करने के साथ, वो दूसरों के खेत में मजदूरी भी करते थे। इस तरह, उन्हें दिन के 40 से 60 रुपए तक मिल जाया करते थे। माधव जब 10 वीं में थे, तभी उनकी मां का कैंसर से निधन हो गया।
माधव कहते हैं, “परिवार के लिए भावनात्मक और आर्थिक रूप से यह बहुत मुश्किल वक्त था, पूरा परिवार लगभग टूट सा गया था। मेरे पास स्कूल की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। मैं हर रोज 11 किलोमीटर दूर साइकिल से स्कूल आया-जाया करता था और उसके बाद खेतों में मजदूरी करता था। एक वक्त ऐसा आया जब परिवार को घर से लेकर खेत तक सब गिरवी रखना पड़ा।”
संघर्ष के दिन
माधव ने किसी तरह से 12वीं पास की, लेकिन कम अंक आने के कारण उन्हें आगे दाखिला नहीं मिल पा रहा था। माधव ने सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज के लिए आवेदन किया था, लेकिन 12 वीं में 56 फीसदी अंकों की वजह से प्रवेश नहीं मिला। ऐसे में माधव फिर से खेतों में मजदूरी करने लगे। लेकिन किस्मत यहां भी उनसे रूठी हुई थी और उसी साल बारिश कम होने की वजह से अकाल जैसे हालात बन गए, इसलिए उन्हें मजदूरी भी नहीं मिलती थी। इस बीच वो पुणे जाकर एक कम्पनी में बतौर हैल्पर काम करने लगे। लगभग 2400 रुपए मिलते थे। लेकिन 2 महीने बाद ही बाद तबियत खराब होने की वजह से वो नौकरी भी चली गई।
उसी समय उनके पास के एक कॉलेज में डिप्लोमा कोर्स आया, जिसकी फीस सामान्य की अपेक्षा थोड़ी कम थी। यहां एडमिशन फीस 2 हजार और छात्रावास फीस 5 हजार रुपए थी। माधव के परिवार ने किसी तरह गांव वालों से उधार पैसे लेकर फीस जमा की। माधव ने यहां बहुत अच्छे अंकों से डिप्लोमा पास किया और 87 फीसदी नंबर के साथ टॉपर बने। डिप्लोमा के बाद माधव की पढ़ने की इच्छा बढ़ी और उन्हें पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश भी मिल गया। लेकिन इस बार फीस के लिए परिवार को घर-खेत तक गिरवी रखने पड़ गए। साथ ही, लोगों से ब्याज पर पैसे भी लेने पड़े। 2014 में माधव ने इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद नौकरी की और अपना लोन चुकाया। दो साल की नौकरी के बाद एक दिन उन्होंने एक यूपीएससी टॉपर का इंटरव्यू देखा। उसी के बाद से उनके मन में आईएएस के ख्वाब जगने लगे।
यूपीएससी की तैयारी
माधव ने लगभग दो महीने परीक्षा के बारे में जानकारी इकठ्ठा की और मन बना लिया कि अब यूपीएससी की तैयारी ही करेंगे। माधव सुबह पांच बजे से छह बजे तक लाइब्रेरी जाते, फिर दस से शाम पांच ऑफिस में काम करते और उसके बाद रात दस बजे तक फिर से लाइब्रेरी में पढ़ाई करते। लेकिन एक वक्त के बाद बेहतर तैयारी के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे। इस बार पैसों की समस्या जब आई तो उनके दोस्तों ने मदद की। माधव कहते भी हैं कि उनके जीवन में उनके दोस्त भगवान जैसे हैं।
साल 2017 में माधव प्री परीक्षा पास नहीं कर पाए। लेकिन, अगले साल यूपीएससी-2018 की परीक्षा 567 वीं रैंक के साथ पास किया और इंडियन ऑडिट और एकाउंट्स सर्विस के लिए चुने गए। फिर अगले साल यूपीएससी-2019 में उन्होंने अपना तीसरा प्रयास दिया। इस बार 2020 में जब परिणाम आए तो शानदार रैंक के साथ माधव आईएएस बन चुके थे। सालों की मेहनत और आर्थिक तंगी से गुजरते हुए माधव ने आखिरकार सफलता का शीर्ष हासिल किया।
माधव कहते हैं, “यदि आपने यूपीएससी पास करने की ठान ली है तो किसी भी परेशानी से डरना छोड़ दीजिए। कड़ी मेहनत और सही रणनीति के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करिए। लेकिन इस यात्रा में परिवार और दोस्तों का सपोर्ट आपके लिए सबसे जरूरी है।”
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