यूपीएससी , यूपीएससी की कहानियां
इस आईएफएस टॉपर ने कहा- यूपीएससी को किसी यात्रा की तरह न लें, लेकिन क्यों?
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 18 Jul 2023, 12:40 am IST
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हाइलाइट्स
- साई चरण रेड्डी ने AIR 38 के साथ IFS-2022 पास किया है
- वह 2016 से कोल इंडिया लिमिटेड में नौकरी कर रहे थे
- उनकी यात्रा सामान्य यूपीएससी अभ्यर्थी से बहुत अलग है
“यूपीएससी को कभी भी यात्रा के रूप में न लें। यूपीएससी को इकलौता लक्ष्य मानने में अपना कीमती वर्ष और समय कभी न गंवाएं। यदि आप वास्तव में इसके लिए तैयारी करना चाहते हैं, तो पहले प्लान-बी बनाएं और फिर प्रयास करें। यदि आप पास हो गए, तो सफलता का जश्न मनाएं। यदि नहीं हुए तो अपना समय बर्बाद न करें। यदि आप कोई नया हुनर नहीं सीख रहे हैं और यूपीएससी के मानसिक दबाव के आगे झुक जाते हैं, तो अपना जीवन बर्बाद ही समझो।” ऐसा सत्यवचन कहना है आंध्र प्रदेश के डीवी साई चरण रेड्डी का। उन्होंने तीसरी कोशिश में UPSC IFS-2022 पास किया है।उन्होंने जो कहा, उस पर कायम रहते हुए मन भी बना लिया था। सोच लिया था कि चाहे फेल हुए या पास, यह उनकी आखिरी कोशिश होगी। उन्होंने तैयारी के लिए नौकरी भी नहीं छोड़ी। यानी शुरू से ही प्लान ‘बी’ रखा। अन्य कैंडिडेट से उलट चरण ने जो तय किया था, उस पर डटे भी रहे। यानी उन्हें ऐसी अप्रत्याशित यात्रा पर लंबे समय तक अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। और, निराशावादी हुए बिना उन्होंने उन लाखों उम्मीदवारों का सटीक उदाहरण दिया, जो अभी भी 7 से 8 वर्षों से तैयारी कर रहे हैं। इन लोगों ने कभी कुछ और करने के बारे में सोचा ही नहीं है।इंडियन मास्टरमाइंड्स ने ऐसे टॉपर से उनकी आईएफएस यात्रा के बारे में जानने के लिए बात की। जाना कि आखिर वह इसमें कैसे सफल हुए।
यूपीएससी सिर्फ एक और लक्ष्य था
कोल इंडिया में डिप्टी मैनेजर के पद पर काम करते हुए साई चरण रेड्डी ने बहुत कम समय में कई काम कर लिए हैं। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी की तैयारी की, बल्कि पॉलिटिकल स्टार्टअप भी शुरू किया। दरअसल उनके लिए यूपीएससी ‘एकमात्र लक्ष्य’ नहीं, बल्कि सिर्फ एक और लक्ष्य था। उनका मानना है कि भारत अवसरों की भूमि है। हर किसी को केवल और केवल भाग्य भरोसे रहने से बचते हुए अपना हिस्सा तलाशना चाहिए।दूसरों के विपरीत, उन्हें यकीन था कि उनकी रैंक टॉप-10 में होगी। इसलिए जब रिजल्ट आय़ा तो उन्होंने केवल पीडीएफ में टॉप-10 रोल नंबरों को देखा। जब वहां अपना नाम नहीं देखा, तो लगा कि उन्होंने परीक्षा पास नहीं की है। लेकिन, बाद में जब पता चला कि उन्हें AIR 31 मिला है, तो उन्होंने इसे खुशी से स्वीकार कर लिया।
बैकग्राउंड
उन्होंने 2016 में ग्रेजुएशन किया। उसके बाद वह कोल इंडिया लिमिटेड में शामिल हो गए। फिर उन्होंने 2017 के अंत में यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2018 में अपनी बार उसकी परीक्षा में बैठे। यह प्रयास केवल यूपीएससी सीएसई के लिए था, आईएफएस के लिए नहीं। लेकिन, वह प्रीलिम्स क्वालीफाई नहीं कर सके। उसके बाद दो साल तक उन्होंने यूपीएससी की कोई परीक्षा नहीं दी। इसलिए कि उनका ध्यान एक अलग प्रोजेक्ट पर था, जो राजनीति से संबंधित था। फिर उन्होंने 2021 में एक और प्रयास किया। इस बार उन्होंने IFS के लिए भी परीक्षा दी। फिर भी दोबारा प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सके। लेकिन, 2022 में अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने सीएसई और आईएफएस दोनों के लिए प्रीलिम्स पास कर लिया। हालांकि वह सीएसई के लिए मेन्स नहीं निकाल सके, लेकिन एआईआर 31 के साथ इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में सफलता प्राप्त कर ली।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”कोल इंडिया के लिए काम करते हुए मैंने लंबे समय तक कोयला खनन और वनों की कटाई देखी। वहां जाना कि इससे पर्यावरण में किस तरह का प्रदूषण होता है और कंपनी ने किस तरह के उपाय किए हैं। इन चीजों ने मुझे प्रकृति के लिए कुछ करने को प्रेरित किया। मैंने आईएफएस को एक ऐसे मंच के रूप में पाया, जहां मैं प्रकृति और पर्यावरण के लिए कुछ कर सकता हूं।”
स्टार्टअप
अपनी नौकरी के साथ-साथ उन्होंने 2018 में कॉलेज के पांच दोस्तों के साथ राजनीति से संबंधित एक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। यह एक पॉलिटिकल कंसल्टेंसी की तरह था। एक ऐसा मंच, जहां उन्होंने लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं के लिए काम किया और उनकी जीत के लिए एक सिस्टम बनाई। उन्होंने कहा, ”हम उन लोगों को एक प्लेटफार्म देना चाहते थे, जो दिल से राजनीति में आना चाहते हैं।”
शिक्षा
वह आंध्र प्रदेश के कुरनूल के रहने वाले हैं। उनके पिता पुलिसकर्मी थे, जिनका 2021 में निधन हो गया। मां हाउस वाइफ हैं। उनका एक बड़ा भाई है।वह शादीशुदा हैं और पत्नी को अपना सबसे करीबी दोस्त मानते हैं, जिन्होंने नौकरी और तैयारी के दौरान बहुत मदद की।उन्होंने 10वीं तक की बेसिक एजुकेशन कुरनूल से और 12वीं की पढ़ाई हैदराबाद से की। इसके बाद उन्होंने 2016 में आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया। फिर वह कोल इंडिया लिमिटेड में नौकरी करने लगे। वह अभी भी वहां काम कर रहे हैं। उन्होंने तैयारी के लिए केवल दो महीने की छुट्टी ली, कभी नौकरी नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, ”यह मेरे लिए बहुत कठिन यात्रा थी। मैं कोल इंडिया में डिप्टी मैनेजर हूं और यह एक फील्ड जॉब है। इसलिए मुझे एक समय में कई चीजें मैनेज करनी पड़ीं।
यूपीएससी
उन्होंने कहा, “यूपीएससी ज्ञानी से अधिक लॉजिकल होना मांगता है। पहले मैं केवल ज्ञान के पहलुओं पर ध्यान दे रहा था। बाद में मुझे बात समझ में आ गई और मैंने तार्किक पहलुओं पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया।”
उनकी तैयारी दो भागों में थी और कई इनोवेटिव कदमों पर केंद्रित थी। पहली तैयारी 2017 के आखिरी महीनों में हुई, लेकिन 2018 के असफल प्रयास के बाद उन्होंने गति खो दी और तैयारी छोड़ दी। उन्होंने 2020 के अंत में फिर से तैयारी शुरू की। इस बार उन्होंने फिर शून्य से शुरुआत की। लेकिन, उन्होंने प्रीलिम्स पर अधिक ध्यान दिया। इसलिए कि वह तब तक इसे पास नहीं कर पाए थे।
वह कहते हैं, “यह सच है कि यदि आप एक सप्ताह के लिए भी अपनी तैयारी ढीली कर देते हैं, तो बहुत पीछे रह जाएंगे। पहले मैं इस परीक्षा की तैयारी के लिए उतना समय नहीं दे पाता था, जितना समय चाहिए।”
2020 में जब उन्होंने दोबारा तैयारी शुरू की तो उन्हें ‘प्रीलिम्स सिम्प्लीफाईड’ किताब से काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि वह इसके जरिये परीक्षा के प्रोसेस को समझ सके, क्योंकि यह किसी विशेष प्रश्न को हल करने की पेचीदगियों को आसान करके बताता है।उन्होंने आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएट एक मित्र के साथ तैयारी की और हर विषय पर उनसे चर्चा की। उन्होंने तैयारी में रिवर्स इंजीनियरिंग की कोशिश की, जैसे कि यदि यह उत्तर था, तो दूसरा क्यों नहीं?सीएसई मेन्स के लिए उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट था-फिजिक्स। आईएफएस के लिए ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर उन्होंने चुना-फिजिक्स और फॉरेस्ट्री। उन्होंने केवल फिजिक्स के दूसरे पेपर के लिए कोचिंग ली थी। बाकी उन्होंने खुद ही तैयारी की।सभी जीएस पेपरों के लिए उन्होंने कुछ भी अतिरिक्त नहीं किया। केवल पेपर की डिमांड को समझने पर ध्यान दिया। टेस्ट पेपर और पीवाईक्यू (PYQs) को हल किया और मेन्स में डायग्राम और मैप का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीदवारों को अंग्रेजी के पेपर पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह अच्छे अंक दिलाता है।
उन्होंने कहा, “मैंने पीवाईक्यू के सवालों का विश्लेषण किया और यह पता लगाने की कोशिश की कि वे क्या पूछने जा रहे हैं। पीवाईक्यू के अध्ययन के लिए एनालिटिकल एप्रोच अपनाना जरूरी है।
इंटरव्यू
उनका इंटरव्यू डीएएफ और उनकी जॉब प्रोफाइल पर केंद्रित था। चरण ने कहा कि इंटरव्यू में पैनलिस्ट आपको खारिज करने के लिए नहीं होते हैं, बल्कि कैंडिडेट्स के पूरे समूह में से बेहतर का चुनाव करते हैं।एक सदस्य ने उनसे ‘फिजिक्स और आध्यात्मिकता को जोड़ने’ के लिए कहा। इस पर उन्होंने कहा कि यदि हमें किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिलता है, तो इसके लिए आध्यात्मिकता की ओर जाना मानवीय प्रवृत्ति है।
सलाह
वह यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सुझाव देते हुए कहा, ”मैं किसी को हतोत्साहित नहीं कर रहा हूं, लेकिन मेरा संदेश है कि इसे कभी भी एकमात्र लक्ष्य न मानें। ऐसे लाखों लोग हैं, जो न तो कोई नौकरी कर रहे हैं और न ही किसी अन्य अवसर की तलाश में हैं, केवल यूपीएससी पर ध्यान लगाए हुए हैं। मैं कभी भी ऐसी बातों को बढ़ावा नहीं दूंगा। हमेशा दूसरे अवसरों की भी तलाश करें और यदि कुछ प्रयासों के बाद भी आप परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं, तो आगे बढ़ें और कुछ और करें। लेकिन, केवल यूपीएससी के लिए अपने कीमती वर्ष बर्बाद न करें। जिंदगी यहीं खत्म नहीं होती।”
वास्तव में वह सलाह देते हैं कि यूपीएससी को एक यात्रा के रूप में न लें, क्योंकि यदि आप वास्तविकता की जांच नहीं करते हैं तो इसका कोई मतलब नहीं है। वह कहते हैं, “दो प्रयासों के बाद अपने आप से पूछें कि क्या आप पूरी तरह से तैयार हैं और वास्तव में ऐसा करना चाहते हैं। फिर फैसला लीजिए।”
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