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बिहार के इस टॉपर ने बेजुबानों की आवाज बनने के लिए IFS को चुना
- Pallavi Priya
- Published on 9 Jul 2023, 11:53 pm IST
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हाइलाइट्स
- अपने आखिरी प्रयास में अपूर्व सिंह ने UPSC IFS-2022 में AIR 21 हासिल किया•
- अभी वह बिहार के पश्चिम चंपारण में हैं बीडीओ
- IFS के बारे में गलत जानकारी होने से वह पहले इसमें अपना 100 फीसदी नहीं दे पाए थे
देर आए दुरुस्त आए, यह लोकप्रिय कहावत यूपीएससी IFS-2022 के टॉपरों में शुमार अपूर्व सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठती है। उन्होंने परीक्षा में AIR 21 हासिल किया और प्रशिक्षण के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि, फिलहाल यह सर्विस उनकी प्राथमिकता में नहीं थी। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में फिलहाल बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में बीडीओ (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) के पद पर कार्यरत श्री सिंह ने कहा कि उन्हें फॉरेस्ट सर्विस के बारे में गलत जानकारी दी गई थी। इसलिए उन्होंने पहले इस परीक्षा में अपना 100 फीसदी नहीं दिया था। यह एक ऐसी गलती है, जो वह नहीं चाहते हैं कि कोई और करे। इसलिए कि अपने अंतिम प्रयास में भले ही वह इसमें सफल हो गए, लेकिन उनका मानना है कि हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं हो सकता है।
आखिरी प्रयास में सफलता
वर्ष 2015 में आईआईटी रूड़की से जियोलॉजी में बी.टेक पूरा करने के बाद श्री सिंह ने सिविल सर्विसेज पर ध्यान देना शुरू किया। उन्हें यकीन था कि सिविल सर्विस ही उनका करियर है, क्योंकि बहुत अधिक पैसा कमाना उनके लिए कभी प्राथमिकता नहीं थी। वह बस अपने काम से संतुष्टि महसूस करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सबसे पहले 2015 में, फिर 2016, 2017, 2019 और 2021 में प्रयास किए। लेकिन, इनमें से एक भी परीक्षा वह पास नहीं कर सके। UPSC CSE 2022 और UPSC IFS 2022 उनके सपने को साकार करने का आखिरी मौका था।पिछले सभी प्रयासों में फॉरेस्ट सर्विस के लिए उन्होंने मेन्स में सभी विषयों की परीक्षा कभी नहीं दी। कारण याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘ जब मैं अपनी तैयारी के शुरुआती चरण में था, तो किसी ने मुझसे कहा था ‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा।’ मुझे इस सर्विस के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी और मुझे बताया गया कि इसमें ज्यादा गुंजाइश नहीं है। इस गलत सूचना ने मुझे पूरे उत्साह के साथ मेन्स में शामिल होने से रोक दिया। इसके अलावा, सिविल और फॉरेस्ट सर्विस के मेन्स के बीच का अंतर सिर्फ 1-2 महीने है। इसलिए, मैं फॉरेस्ट सर्विस के लिए दो ऑप्शनल सब्जेक्ट की तैयारी नहीं कर सका।’यही कारण है कि कुछ ही प्रयासों में उन्होंने केवल निबंध या जीएस या अंग्रेजी के लिए मेन्स दिया। यूपीएससी 2019 में उन्होंने पहली बार पूरे फोकस के साथ फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा दी और इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे। फिर 2021 में उन्होंने IFS की परीक्षा छोड़ दी और केवल CSE पर ध्यान केंद्रित किया। अंततः 2022 में उन्होंने दोनों परीक्षाओं में अपना 100 फीसदी दिया, लेकिन सीएसई में 25 मार्क्स से चूक गए। लेकिन आईएफएस में 21वीं रैंक हासिल हुई।
सहज रूप से प्रकृति करीब नहीं आया
बिहार के वैशाली जिले के मूल निवासी अपूर्व सिंह ने पिता की नौकरी के कारण अपने जीवन के अधिकतर हिस्सा झारखंड की राजधानी रांची में बिताए। यह राज्य अपनी समृद्ध आदिवासी संस्कृति और घने जंगलों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘प्रकृति के प्रति प्रेम मुझमें स्वाभाविक रूप से आना चाहिए था। अनजाने में यह हमेशा से था, लेकिन यह मेरे जीवन में बहुत देर से जुनून बना। केवल तब, जब मैं इस सर्विस से पूरी तरह परिचित हुआ।’बीपीएससी 2021 के टॉपर अपूर्व सिंह ने कहा कि आईएफएस अधिकारियों के काम के बारे में पढ़कर उन्हें प्रेरणा मिली। धीरे-धीरे उन्हें इस सर्विस के सभी पहलुओं के बारे में पता चला और अब वह आईएफएस में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि अगर वह बीडीओ के पद पर बने रहे, तो उनके पास प्रमोशन पाकर डीडीसी यानी डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर बनने का मौका हो सकता है, लेकिन ऐसा वह करेंगे नहीं। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि एक आईएफएस अधिकारी के तौर पर मुझे खुद पहल करने का मौका मिलेगा। इस नौकरी में अपार संभावना है और यह मुझे बेजुबानों (वनस्पतियों और जीवों) और कम आवाज वाले (आदिवासियों) की आवाज बनने का मौका देगा।’
लिखावट बनी बाधा
यह यात्रा उनके लिए वाकई कठिन थी। प्रीलिम्स क्लियर करने के बाद भी उन्हें आगे कुछ नहीं मिल रहा था। हालांकि, इसने उन्हें तोड़ा नहीं। उन्हें हमेशा विश्वास था कि वह परीक्षा में सफल हो सकते हैं। एकमात्र समस्या उनकी लिखावट थी। वह कहते हैं कि जब मैं टॉपर्स की कॉपी देखता था, तो इससे मुझे आत्मविश्वास मिलता था। मैं वैसे ही लिख रहा था। फिर समस्या क्या थी? मुझे लगा कि यह शायद मेरी लिखावट है। यह वास्तव में बहुत खराब है और यही कारण है कि मैं कम स्कोर कर रहा था।उन्होंने इस पर काम किया और बाजार में उपलब्ध विभिन्न पेनों को भी आजमाया। हालांकि, यह किसी को कोई समस्या नहीं लग सकती है, लेकिन उनके लिए यह एक मुद्दा था। साथ ही, उन्होंने यूपीएससी 2021 के प्रयास से पहले अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट जियोग्राफी से बदलकर जियोलॉजी कर लिया था। उन्होंने फॉरेस्ट्री के साथ-साथ वन सेवाओं के लिए भी इस विकल्प को जारी रखा।
बतौर आईएफएस अधिकारी नजरिया
आईएफएस में रहना हाल का सपना है और उन्होंने अपनी आगामी यात्रा के लिए कई चीजों की योजना बनाई है। हमारे साथ कुछ बातें साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपनी सभी पोस्टिंग में कुछ स्थायी और दीर्घकालिक बदलावों की दिशा में काम करना चाहते हैं। इसके अलावा, सरकारी कार्यालयों को सुंदर बनाने की भी योजना है, ताकि हर विजिटर में पॉजिटिव एनर्जी आए। वह अपनी टीम के साथ समग्र रूप से काम करने और हर समय उनके लिए मौजूद रहने की भी योजना बना रहे हैं, ताकि वे उनके लिए अतिरिक्त प्रयास कर सकें।
सलाह
वह यूपीएससी की तैयारी करने वालों को केवल यही सलाह देना चाहते हैं कि कई प्रयासों के बाद एक बैकअप योजना तैयार रखें। उनके अनुसार, एक समय के बाद तैयारी का समय मायने नहीं रखता, बल्कि दृष्टिकोण ही परीक्षा पास करने में मदद करता है।
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