यूपी के तराई क्षेत्र से आने वाले उत्कर्ष की कहानी, जो इंटरव्यू में नहीं बता पाये इस सवाल का जवाब, लेकिन यूपीएससी में ऐसे मिली शानदार सफलता!
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 19 Nov 2021, 2:20 pm IST
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हाइलाइट्स
- यूपी के एक छोटे शहर सीतापुर से आने वाले उत्कर्ष नारायण ने 740 वीं रैंक के साथ यूपीएससी में लहराया परचम
- पुराने क्वेस्शन्स पेपर और टेस्ट पेपर हल करना रही प्रमुख रणनीति
- इस साल फिर से दिया है एक्जाम, आईएएस बनना है ख्वाब
- लेकिन यूपीएससी को ही अंतिम लक्ष्य न माने, ऐसा क्यों कहा उत्कर्ष ने?
- उत्कर्ष नारायण, यूपीएससी-2020, 740 वीं रैंक
सफलता प्राप्त करना मानव जीवन की सबसे बड़ी आकांक्षा है। लेकिन अगर पूछा जाए कि सफलता से भी अधिक किसी के लिए क्या मायने रखता है? तो अधिकतर विद्वानों का जवाब होगा कि न हारने का जज्बा, लगातार संघर्ष करने और लड़ते रहने की प्रेरणा। शायद यह सही भी है, क्योंकि सफलता की ओर जाने वाली राह में निरंतर संघर्ष करना और उस अनुभव से भी कुछ न कुछ सीखना कहीं ज्यादा जरूरी है और वो हर किसी को लगातार बेहतर बना सकता है। ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जहां हाल के कुछ सालों में मानव जीवन की सबसे त्रासदियों में से एक कोरोना महामारी ने उत्कर्ष नारायण को इतना कुछ सिखा दिया कि उनका फेल होने का डर हमेशा के लिए कहीं गायब हो गया।
यूपीएससी-2020 परीक्षा में 740 वीं रैंक के साथ सफलता हासिल करने वाले उत्कर्ष कोरोना काल में बहुत बुरी परिस्थितियों से गुजरे। इंटरव्यू के पहले उन्हें तो कोविड हुआ ही, परिवार में उनके पिता सहित अधिकतर लोग कोविड से पीड़ित थे। उस वक्त उत्कर्ष दिल्ली में थे, जब उनको खबर मिली कि उनके पिता सहित परिवार में कई लोग कोविड से जूझ रहे हैं।
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए वो कहते हैं, “जब मैं थोड़ा ठीक हुआ और घर अपने परिवार के पास पहुंचा, मेरे मन में बस एक ही बात ही थी कि मेरे पापा और परिवार में सब ठीक हो जाएं, मुझे इसके सिवा कुछ नहीं चाहिए था। उस वक्त ये अहसास हुआ कि यूपीएससी ही सब कुछ नहीं है। परिवार इस दुनिया में सबसे जरूरी है और अगर वो साथ है तो आप सब कुछ कर लेंगे। अगर आपके आस-पास सब कुछ ठीक नहीं है तो यूपीएससी भी आपको बेकार लगेगा। सच कहूं तो उस वक्त यूपीएससी की दौड़ बेकार लग रही थी। मेरे मन में यूपीएससी की महत्वता कहीं न कहीं कम हो गयी। शायद इसीलिए मैं इंटरव्यू बहुत अच्छे से दे पाया, क्योंकि मुझे लग रहा था कि अब परिवार ठीक हो गया है तो सब ठीक है, अब तो जो भी मिलेगा वो बोनस है। इसलिए मेरे मन में असफलता का कोई डर नहीं था।”
उत्कर्ष की यूपीएससी में जाने की प्रेरणा उनके पिता ही हैं। उनके पिता कहा करते थे कि ऊपर भगवान हैं तो नीचे डीएम। दोनों के पास अकूत ताकत है, लोगों की मदद करने के लिए। वहीं से उत्कर्ष ने यूपीएससी में जाने का मन बना लिया। अपनी तैयारी के दिनों में वो सोशल मीडिया से बिलकुल दूर थे। पहले और दूसरे प्रयास में तो सिर्फ कभी-कभार व्हाट्सएप देख लिया करते थे। जबकि अपने तीसरे प्रयास में जब वो पढ़ाई करते थे तो उनका मोबाइल बंद रहता था, और पढ़ाई खत्म होने के बाद ही फोन ऑन करते थे।
शुरुआत
उत्कर्ष उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के जिले सीतापुर के रहने वाले हैं। उनके पिता सीतापुर क्रिमिनल कोर्ट में रीडर हैं। साथ ही वो उत्तर प्रदेश दीवानी न्यायालय एसोसिएशन के सचिव भी हैं। उनकी मां ग्रहणी हैं। उनके एक और भाई है जो नौकरी करता है।
यूपीएससी यात्रा
उत्कर्ष कहते हैं कि उनकी यूपीएससी यात्रा में बहुत से उतार-चढ़ाव रहे हैं। वो कहते हैं, “मैं एक छोटे से शहर से हूं तो वहां लोग कहा करते थे कि यूपीएससी एक या दो प्रयास में नहीं निकलेगा। कई साल तैयारी करने के बाद भी लोग नहीं निकाल पाते हैं। इसलिए मेरे मन में भी बहुत सी शंकाएं थीं। मेरी भी शुरुआत में जब लोगों से बात होती थी तो अधिकतर लोगों का प्री ही नहीं निकला था। इसीलिए मेरा भी ज्यादा फोकस प्री पर ही था। शायद इसीलिए मेरे पहले और दूसरे प्रयास में प्री तो निकल गया, लेकिन मेंस नहीं निकला। क्योंकि मुझे वैकल्पिक विषय में बहुत दिक्कत रही। लेकिन तीसरे प्रयास में मैंने अपनी रणनीति बदली और अबकी बार सिलेक्शन हो गया।”
शिक्षा
उत्कर्ष की 12 वीं तक पढ़ाई सीतापुर के प्रसिद्ध कान्वेंट स्कूल ‘सेक्रेड हार्ट इंटर कॉलेज सीतापुर’ से हुई है। उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उत्कर्ष दिल्ली चले गए। वहां उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के बेहद प्रतिष्ठित ‘हिन्दू कॉलेज’ से केमिस्ट्री ऑनर्स में बी.एससी. किया। साल 2017 में स्नातक पूरा होने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
यूपीएससी तैयारी
उत्कर्ष ने अपने वैकल्पिक विषय के लिए छोड़कर, यूपीएससी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली है। जीएस के लिए उन्होंने यूट्यूब से पढ़ाई की। उनका वैकल्पिक विषय भूगोल था और इसके लिए उन्होंने दिल्ली में ही 4 महीने की कोचिंग की थी।
“मैं हर रोज सुबह 6 बजे उठ जाता था। 7 बजे से 10 बजे तक एक दिन पहले जो पढ़ा है उसे रिवाइज करता था। उसके बाद 11 बजे से अपने वैकल्पिक विषय के लिए कोचिंग जाता था। वापस आने बाद फिर पढ़ने बैठ जाता था। मैं दोपहर में लंच के बाद थोड़ी देर सोता था और शाम को कुछ वक्त का ब्रेक लेता था। इसके अलावा मेरी पढ़ाई लगभग पूरे दिन चलती थी। शुरुआत में, मैं 12 से 14 घंटा पढ़ता था। लेकिन एक बार जब सिलेबस पूरा हो गया तो पढ़ाई के घंटे थोड़े कम कर दिए। फिर 8 से 10 घंटे ही पढ़ाई करता था।”
“अपनी तैयारी पर बात करते हुए उत्कर्ष”
प्री: उत्कर्ष की प्री परीक्षा की रणनीति पूरी तरह टेस्ट पेपर हल करने पर थी। वो कहते हैं कि प्रीलिंस के लिए मैंने टेस्ट पेपर और यूपीएससी के पुराने पेपर खूब किए। साथ ही एमसीक्यू (मल्टिपल चॉइस क्वेस्शन्स) जितने हो सके, उतने करिए। प्री के लिए यही सही तरीका है।
मेंस: मेंस परीक्षा पर वो कहते हैं कि मेंस के लिए उत्तर लेखन का अभ्यास बहुत जरूरी है, मेरा पूरा फोकस उसी पर था। अपने विषय को बेहतर तरीके से समझ कर, शुरुआत से ही खूब उत्तर लेखन अभ्यास करिए।
इंटरव्यू: इंटरव्यू के लिए खुद को जानना, अपने आस-पास की चीजों को जानना और सेल्फ अवेर्नेस बहुत जरूरी है।
इंटरव्यू में पूछे गए सवाल!
इंटरव्यू में पूछे गए सवालों पर उत्कर्ष कहते हैं, “मेरे इंटरव्यू में मेरी पृष्ठभूमि से जुड़े सवाल खूब पूछे गए थे। उत्तर प्रदेश से संबंधित कई सवाल थे। साथ ही मेरे गृह जिले सीतापुर से जुड़े कई सवाल था। सीतापुर में पीएसी की दूसरी बटालियन है। उससे संबंधित सवाल पूछे, हालांकि मुझे उस वक्त इसके बारे में नहीं पता था। उन्होंने खुद बताया।”
“सीतापुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थल नैमिषारण्य को लेकर सवाल पूछे गए थे। वहीं, अपने कॉलेज के दिनों में मैं हिन्दू कॉलेज में दिल्ली यूनिवर्सिटी का कल्चरल प्रेसिडेंट था। इसलिए स्टूडेंट यूनियन पर बहुत से सवाल थे कि इसका क्या महत्व है, ये होनी चाहिए या नहीं? छात्रों को राजनीति में होना चाहिए या नहीं? कोविड पर भी सवाल था कि उत्तर प्रदेश कोविड की तीसरी लहर को रोकने के लिए क्या कर रहा है?”
यूपीएससी उम्मीदवारों को सलाह
यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए सलाह देते हुए उत्कर्ष कहते हैं, “मेरी नजर में द हिन्दू न्यूज पेपर और एनसीआरटी सबसे जरूरी चीज है। रोजाना द हिन्दू पढ़िए और एनसीआरटी को अपना बेस बनाइए। पुराने क्वेस्शन्स पेपर्स, सिलेबस और एमसीक्यू पर पूरा फोकस रखिए, आपका चयन इसी से होना है। कोचिंग और मटेरियल के पीछे मत भागिए।”
मिशन
उत्कर्ष ने इस साल फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी है। उनका कहना है कि अगर परिणाम मेरे हक में जाता है तो मैं नौकरी से ईओ (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव-असाधारण अवकाश) ले लूंगा। मेरा लक्ष्य आईएएस बनना है, मैं उसके लिए अभी कोशिश करूंगा। इस साल जो मेरी रैंक आई है, उससे शायद मुझे आईएएस नहीं मिलेगा। इसलिए मैं अपनी रैंक बेहतर करके आईएएस ही बनना चाहता हूं।
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