यूपीएससी-2020 परीक्षा में महिलाओं ने फिर परचम लहराया, लेकिन क्या आपको यूपीएससी-2019 की महिला टॉपर्स याद हैं?
- Pallavi Priya
- Published on 29 Sep 2021, 9:12 pm IST
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हाइलाइट्स
यूपीएससी-2020 का परिणाम आ चुका है। हर बार की तरह इस बार भी महिला उम्मीदवारों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लेकिन क्या आपको पिछले साल आए यूपीएससी परीक्षा-2019 के अंतिम परिणाम याद हैं, और क्या तब सफल हुई महिला उम्मीदवारों की संघर्ष की कहानी आपके जेहन में अब भी ताजा है?
यूपीएससी-2020 का परिणाम आ चुका है। हर बार की तरह इस बार भी महिला उम्मीदवारों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लेकिन क्या आपको पिछले साल आए यूपीएससी परीक्षा-2019 के अंतिम परिणाम याद हैं और तब सफल हुई महिला उम्मीदवारों की संघर्ष की कहानी आपके जेहन में अब भी ताजा है। 2020 में आया यूपीएससी का रिजल्ट भी महिला उम्मीदवारों के लिए बेहद खास रहा था। इनमें से कई महिलाओं की सफलता लीक से हटकर थी, चाहे वो नेत्रहीन लेकिन हमेशा खुद पर भरोसा रखने वाली पूर्णा सुंदरी हो या तेज दिमाग और सौंदर्य का अद्भुत संगम मिस इंडिया फाइनलिस्ट ऐश्वर्या श्योराण या फिर उत्तराखंड के पहाड़ों में बसी कुमारी प्रियंका जिन तक बुनियादी सुविधाओं की भी पहुंच नहीं थी। पढ़िए ‘इंडियन मास्टरमाइण्ड्स’ की ये खास रिपोर्ट…
चाहे व्यवसाय का क्षेत्र हो या कला का, चाहे खेलों की दुनिया हों या प्रशासन और साहसिक कार्यों की बात, भारत की महिलाएं लगातार रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ रही हैं। ये महिलाएं पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती देते हुए हर क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल कर रही हैं। किसी शायर ने भी सटीक तरीके से कलम चलाते हुए बहुत खूब लिखा है –
‘जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं।’
यूपीएससी-2019 परीक्षा के परिणाम साफ तौर पर इन बातों को साबित करते हैं। इस साल, महिलाओं की अच्छी खासी संख्या ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक यूपीएससी को पास करने में सफलता हासिल की है।
महिला विजेताओं ने ए-सूची में भी प्रभावशाली स्थान हासिल किया। भारतीय प्रशासनिक सेवाओं, भारतीय पुलिस सेवाओं और भारतीय विदेश सेवाओं सहित अन्य सेवाओं के लिए चुने गए कुल 829 उम्मीदवारों में से 197 महिलाएं हैं। हम आपको पिछले साल के कुछ ऐसे ही चमकते यूपीएससी के सितारों से मिलाने जा रहे हैं:-
प्रतिभा वर्मा- महिला टॉपर
देश भर में तीसरा और महिला वर्ग में पहला स्थान पाने वाली प्रतिभा वर्मा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की रहने वाली हैं। वह शुरुआत से ही एक होनहार और अध्ययनशील लड़की थीं। इस सफलता से पहले भी, वह इंजीनियरिंग के लिए भारत में सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा आईआईटी पास कर चुकी थीं। उन्होंने अपनी प्राथमिक और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गांव से ही की और फिर आईआईटी दिल्ली से बी.टेक. पूरा करने के बाद कुछ समय के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर में भी काम किया।
लेकिन देश के आम लोगों के लिए कुछ करने का जुनून हमेशा उनके मन में था, इसीलिए वोडाफोन कंपनी में अपने डिप्टी मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया और यूपीएससी की तैयारी करने लगीं। साल 2017 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पहली बार दी और असफल रहीं। लेकिन अगले साल 2018 में, उन्होंने सफलता हासिल करते हुए 489 वीं रैंक पायी। उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में नौकरी मिली और वह आयकर अधिकारी बनीं।
लेकिन जिनके सपने बड़े और हौसले बुलंद हों, वो कभी एक मंजिल पर नहीं ठहरते, बल्कि हर रोज अपनी नई मंजिल तय करते हैं और उसे तलाशने निकल पड़ते हैं। प्रतिभा ने भी फैसला किया कि आईआरएस पर ही रुकना नहीं है। साल 2019 में उन्होंने फिर से परीक्षा दी और अबकी बार इतिहास रचते हुए महिलाओं में अव्वल रहीं। अपने लक्ष्य के लिए लगातार प्रयास और खुद पर भरोसे ने प्रतिभा की हर मुश्किल को आसान बनाया। महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर मुखर होकर बात करने वाली प्रतिभा भविष्य में भी महिलाओं के लिए कुछ खास करना चाहती हैं।
नूपुर गोयल – अनवरत प्रयास और धैर्य
इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि यूपीएससी परीक्षा दृढ़-संकल्प, निरंतर प्रयास और धैर्य का समागम है। दिल्ली की रहने वाली नूपुर गोयल से बेहतर शायद ही कोई इस बात को समझ सके। दिल्ली के नरेला से अपनी स्कूली शिक्षा, डीटीयू से बी.टेक और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एम.ए. कर चुकी नूपुर को हार मान लेना जैसे आता ही नहीं है। शायद अपने कभी हार न मानने वाले इस स्वभाव ने ही उनके हर मुश्किल रास्ते को आसान बनाया और उन्हें विफलताओं में भी सकारात्मकता दी।
पांच बार असफल रहने वाली नूपुर ने अपने छठे प्रयास में न केवल यूपीएससी पास किया, बल्कि अव्वल आते हुए 11 वां स्थान भी हासिल किया। यह उनका आखिरी प्रयास था और खुद को साबित करने का एकमात्र अवसर। लेकिन नूपुर ने इतनी असफलताओं के बाद भी खुद को टूटने नहीं दिया और अपने जुनून व बुलंद इरादों के साथ कामयाबी के शिखर पर जा बैठीं।
नूपुर पांचवे प्रयास में भी इंटरव्यू तक पहुंची थीं लेकिन फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं था। नूपुर का कहना है कि किसी भी इंसान को कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे जैसी भी मुश्किल परिस्थितियां हों।
नादिया बेग – कश्मीर की युवा नौजवान
23 वर्षीय नादिया बेग कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की रहने वाली हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन करने वाली नादिया इस साल यूपीएससी पास करने वाली सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं। 2018 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी लेकिन प्रारंभिक परीक्षा पास करने में असफल रहीं। हालांकि इससे उनके हौसलों की उड़ान पर कोई असर नहीं पड़ा। वह अपनी कमजोरी जानती थीं और इस पर काम करने लगीं।
उन्होंने यूपीएससी के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित आवासीय कोचिंग कक्षाओं में दाखिला ले लिया और हर दिन लगभग 12 घंटे की पढ़ाई करने लगीं। यह पहली बार था जब वह इस तरह के बेतहाशा दबाव वाली परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। कई बार वह घबराई और परेशान भी हुईं लेकिन पूरी लगन से दिन-रात मेहनत करती रहीं। आखिरकार जब परिणाम आए तो सफलता की विजयी मुस्कान उनके चेहरे को रोशन कर रही थी।
एक ऐसी जगह (कश्मीर घाटी) जहां का माहौल पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाला न हो, वहां सभी बाधाओं को हराकर 350 वीं रैंक हासिल करना वास्तव में बहुत बड़ी कामयाबी है। नादिया की रुचि पॉलिसी मेकिंग और एडमिनिस्ट्रेशन में है और वह अपने राज्य सहित देश भर में महिलाओं की शिक्षा के लिए काम करना चाहती हैं।
कुमारी प्रियंका – संघर्ष आपको मजबूत बनाते हैं
दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें सब कुछ बहुत आसानी से मिल जाता है, जबकि अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें कड़ी मेहनत और कठिन प्रयासों से ही कुछ हासिल करना होता है। उत्तराखंड के चमोली जिले के रामपुर गांव की रहने वाली कुमारी प्रियंका ने भी जीतोड़ मेहनत से वो मुकाम हासिल किया जिसके सपने भारत का अधिकतर युवा देखता है। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि आपमें दृढ़-निश्चय और विश्वास है तो कोई भी आपको अपनी मंजिल के रास्ते से जुदा नहीं कर सकता।
उनके गांव में सड़क या बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। हर आए दिन उन्हें किसी न किसी नई चुनौती से जूझना पड़ता था, लेकिन प्रियंका ने हर चुनौती से डटकर मुकाबला किया और उल्टे उससे हिम्मत हासिल की। एक किसान पिता की बेटी प्रियंका ने स्कूल के दिनों में खेतों में अपने पिता का हाथ भी बंटाया। उन्होंने अतिरिक्त पैसों के लिए छात्रों को ट्यूशन पढ़ाया। उनके लिए जीवन में कुछ भी आसान नहीं रहा, लेकिन मुश्किल दिनों में भी उम्मीद की किरण को उन्होंने खुद से दूर नहीं जाने दिया।
शायद यह संघर्ष के ही दिन थे जिन्होंने प्रियंका को हौसला दिया और उनके इरादों को चट्टान की तरह मजबूत बनाया, इतना मजबूत कि अपने पहले ही प्रयास में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी को 257 वीं रैंक के साथ सफलतापूर्वक पास कर लिया। प्रियंका मानती हैं कि सिविल सेवा में रणनीति से ज्यादा जरूरी समर्पण है। वह अब उन दूसरे लोगों को भी प्रेरित करना चाहती हैं जो उसके जैसी ही चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
पूर्णा सुंदरी – हर युवा के लिए एक प्रेरणा
पूर्णा सुंदरी तमिलनाडु की धार्मिक नगरी मदुरई के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं। वह नेत्रहीन हैं लेकिन अपने ख्वाबों को देखने में उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। वो जब 11वीं में थी तब से आईएएस अधिकारी बनने के ख्वाब बुनती थीं। उनकी सफलता की कहानी ऐसी है जो किसी भी हारे हुए इंसान को निराशा के गहरे कुएं से बाहर निकाल सकती है।
आंखों से देखने में सक्षम न होने के बाद भी 25 वर्षीय सुंदरी ने अपने चौथे प्रयास में 286 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर एक मिसाल कायम की। सुंदरी ने एक बार फिर से सदियों पुरानी कहावत को सही साबित कर दिया कि यदि आप हार नहीं मानते हैं और लगातार प्रयास करते रहने में यकीन रखते हैं, तो आपकी कड़ी मेहनत कभी जाया नहीं जा सकती।
ऑडियो के रूप में स्टडी मटैरियल खोजना अपने देश में काफी मुश्किल काम है, लेकिन सुंदरी की तैयारी में उनके माता-पिता और दोस्तों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके लिए ऑडियो बुक्स बनाए। सुंदरी ने भी अपनी सफलता उन सभी लोगों को समर्पित की है। सुंदरी शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में समाज को अपना योगदान देना चाहती हैं।
ऐश्वर्या श्योराण – तेज दिमाग और सौन्दर्य का समागम
ऐश्वर्या श्योराण की सफलता कई मायनों में खास है। रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ते हुए, पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट ने यूपीएससी में 93 वीं रैंक हासिल की है और आने वाले दिनों में आईएएस अधिकारी बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। एक आर्मी ऑफिसर की बेटी ऐश्वर्या हमेशा से सिविल सेवा में जाने के ख्वाब देखती थीं।
मॉडलिंग उनके लिए महज एक शौक था, हालांकि यहां भी उन्होंने कामयाबी के झंडे गाड़े। 2014 में मॉडलिंग में प्रवेश किया और ‘दिल्ली टाइम्स फ्रेश फेस’ का खिताब अपने नाम किया। 2016 में ‘कैंपस प्रिंसेस दिल्ली’ प्रतियोगिता में ऐश्वर्या को ‘ब्यूटी विद ए परपज’ खिताब से नवाजा गया। उन्हीं दिनों उन्होंने प्रतिष्ठित ‘फेमिना मिस इंडिया 2016’ में भाग लिया और शीर्ष 21 फाइनलिस्टों में चुनी गईं।
आखिरकार उन्होंने अपने सपने के लिए मॉडलिंग से ब्रेक लिया और यूपीएससी के लिए तैयारी शुरू कर दी। वह उन कुछ गिने चुने लोगों में से एक हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित परीक्षा को अपने पहले ही प्रयास में पास कर लिया।
ऐश्वर्या ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर बिना कोचिंग लिए ही सिर्फ 10 महीने में भारत की सबसे मुश्किल परीक्षा पास कर ली और देश भर में 93 वीं रैंक हासिल कर कई स्थापित मानकों को तोड़ दिया।
सफना नजरुद्दीन
23 वर्ष की सफना नजरुद्दीन ने अपने पहले ही प्रयास में 45 वीं रैंक हासिल कर यूपीएससी परीक्षा पास की है। वह केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पेयाड कस्बे से हैं। अर्थशास्त्र में स्नातक सफना अपने स्कूल के दिनों से ही आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखती थीं।
2018 में स्नातक पूरा करने के बाद उन्होंने यूपीएससी के लिए तैयारी शुरू की। वह देश की विभिन्न संस्कृतियों के लिए अपने दिल में एक विशेष स्थान रखती हैं। उनका एक और ख्वाब है कि वह पूरे देश में कई महत्वपूर्ण सामाजिक बदलावों में अपना योगदान देना चाहती हैं।
आर. ईश्वर्या
24 साल की आर. ईश्वर्या तमिलनाडु के कुड्डलोर जिला के पनरुती कस्बे की रहने वाली हैं। उन्होंने यूपीएससी 2019 परीक्षा में देश भर में 47 वां और अपने राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है। वह 2020 के परीक्षा परिणाओं में सिविल सेवा में सफल होने होने वाली पनरुती की तीन लड़कियों में से एक हैं।
अन्ना विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद ईश्वर्या ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और अपने पहले ही प्रयास में 630 वीं रैंकिंग हासिल की। लेकिन सफलता से पूरी तरह संतुष्ट न होने वाली ईश्वर्या ने अपने दूसरे प्रयास में शीर्ष 50 सफल उम्मीदवारों की सूची में जगह बना ली।
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