नाकामियां भी इस IRTS अधिकारी को IAS अफसर बनने से नहीं रोक सकीं
- Pallavi Priya
- Published on 5 Jun 2023, 4:41 pm IST
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हाइलाइट्स
- इसलिए हैं अलग-
- एचएस भावना को UPSC CSE 2022 में मिली है 55वीं रैंक
- पहले भी किया था CSE पास, तब बनी थीं आईआरटीएस अधिकारी
- फिर दो बार फेल होकर भी पूरा किया आईएएस अफसर बनने का सपना
यूपीएससी सीएसई-2022 एचएस भावना के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया। इसलिए कि आईएएस अधिकारी बनने का उनका लंबे समय का सपना आखिरकार पूरा होने वाला है। 55 वीं रैंक हासिल की है। धैर्य और कड़ी मेहनत ने आखिरकार उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा ही दिया।
इस कठिन परीक्षा में यह उनकी दूसरी सफलता है। वैसे काम और पढ़ाई के बीच बैलेंस बनाना उनके लिए आसान नहीं था। वर्ष 2018 में वह 314 रैंक पर थीं। इससे उन्हें IRTS मिला। लेकिन उन्हें आईएएस अफसर बनना था। सो रैंक में सुधार करने के मकसद से दो बार और परीक्षा में बैठीं। दोनों बार फेल। लेकिन, एक फाइटर होने के नाते उन्होंने कोशिश करना बंद नहीं किया। यही कारण है कि इस बार जब उन्होंने 55वीं रैंक हासिल कर ली है, तो आईएएस अफसर बनने का सपना भी साकार हो रहा है। भावना इस समय शोलापुर में असिस्टेंट ऑपरेटिंग मैनेजर के पद काम कर रही हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में भावना ने अपनी इस लंबी और थकाऊ यात्रा से मिली सीख को साझा किया।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होतीः
2018 में आईआरटीएस अधिकारी के रूप में चुनी जाने के बाद भावना UPSC CSE 2019 में फिर बैठीं। तब इंटरव्यू तक पहुंचीं, लेकिन फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना सकीं। वर्ष 2020 में तो वह मेन्स भी क्लियर नहीं कर पाईं। यह उनके लिए बेहद कठिन दौर था। अपने आखिरी प्रयास में बेहतर रैंक के लिए और अधिक तैयारी के मकसद से उन्होंने 2022 की परीक्षा में नहीं बैठने का मन बना लिया था। लेकिन उनके साथ हर वक्त चट्टान की तरह खड़ी रहने वाली मां ने उन्हें प्रेरित किया।
यह पूछने पर कि एक बार सफलता का स्वाद चखने के बाद वह असफलताओं से कैसे निपटीं, तो कहा- “पहले सलेक्शन ने मुझे बेहतर रिजल्ट लाने के लिए और प्रयास करने को प्रेरित किया। लेकिन, बीच में मिली असफलताओं ने वास्तव में मुझे निराश कर दिया था। असफलताओं से निपटना मानसिक तैयारी से अधिक है। मैं शुक्रगुजार हूं कि इस दौर में मां ने मेरा हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि असफलता के बाद लोगों के पास दो ही विकल्प होते हैं- इसे स्वीकार करना और विश्लेषण करना कि ऐसा क्यों हुआ। और, फिर सुधार करने की गुंजाइश तलाशना।
ऑप्शनल सब्जेक्ट चुनने में चतुराईः
वर्ष 2018 की सफलता से पहले उन्होंने जियोग्राफी को ऑप्शनल सब्जेक्ट बना कर दो बार कोशिश की थी। चूंकि उन्हें इससे फायदा नहीं हुआ, इसलिए कन्नड़ साहित्य की ओर रुख किया, जो सही फैसला साबित हुआ। वर्ष 2019 और 2020 में फेल होने के बाद उन्हें फिर लगा कि अच्छे मार्क्स लाने में ऑप्शनल सब्जेक्ट से मदद नहीं मिल रही है। इसलिए उन्होंने इसे फिर से बदल दिया। इस बार एंथ्रोपोलॉजी को ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाया। उन्होंने इस विषय को अपने दम पर पढ़ा, क्रिस्प नोट्स बनाए और बार-बार रिवीजन किया।
हालांकि उन्हें लगता है कि यह बिल्कुल भी अच्छी रणनीति नहीं है। फॉर्म भरने से पहले कैंडिडेट को सही और सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए। वह कहती हैं, “मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन के साथ ग्रेजुएशन किया है, लेकिन यह ऑप्शनल सब्जेक्ट की लिस्ट में नहीं था। मैंने ऑप्शनल सब्जेक्ट के साथ एक्सपेरिमेंट करना बंद कर दिया। हालांकि ऐसा हर किसी को नहीं करना चाहिए।”
सीनियर और साथियों का साथः
भावना अपनी सफलता का क्रेडिट परिवार के साथ-साथ अपने सीनियर्स और दोस्तों को भी देती हैं। सीनियर्स ने उन्हें इंटरव्यू के लिए सही सलाह दी। आईआरटीएस के बैचमेट्स ने अपने नोट्स साझा किए और उनके जवाबों को क्रॉस-चेक किया। इन सबने उन्हें परीक्षा में सफल होने में मदद की। उन्होंने जनरल साइंस और निबंध की तैयारी खुद की, क्योंकि उनका मानना था कि कोचिंग इसमें ज्यादा मदद नहीं कर सकती। हालांकि कन्नड़ साहित्य के लिए उन्हें अलग से क्लासेस करनी पड़ी थी। लेकिन एंथ्रोपोलॉजी के लिए उन्होंने दोस्तों की मदद से खुद ही खूब मेहनत की। वह यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सलाह देती हैं कि यदि वे इस परीक्षा में सफलता चाहते हैं, तो सिलेबस से जुड़े ही रहें।
वह कहती हैं, “मैंने सिलेबस को समझने और स्टैंडर्ड टेक्स्ट बुक के साथ शुरुआत की। करंट अफेयर्स के लिए मैं रोजाना अखबार पढ़ती हूं। आजकल लोग बहुत अधिक स्टडी मैटेरियल उपलब्ध होने के कारण सिलेबस से भटक जाते हैं। अगर वे सफल होना चाहते हैं, तो उन्हें इससे बचना चाहिए।”
बहरहाल, आईआरटीएस में अच्छा समय गुजारने के बाद वह नया सीखने, अनुभव करने और मिलने वाली नई भूमिकाओं में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।
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