न मॉक इंटरव्यू, न टेस्ट सीरीज या कोचिंग, फिर भी केरल टॉपर गहना नव्या जेम्स को यूपीएससी-2022 में मिली 6 रैंक
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 28 May 2023, 6:21 pm IST
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हाइलाइट्स
- गहना नव्या जेम्स के लिए बचपन से ही शौक रहा है-टॉपर बनना
- अंकल जापान में भारतीय राजदूत और उनकी प्रेरणा हैं
- विदेश में भारत का चेहरा बनने का है सपना, इसलिए आईएफएस चुनेंगी
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। यह बिना किसी मदद के भी चमक सकती है। UPSC CSE-2022 में ऐसी ही चमक बिखेर गई हैं केरल की गहना नव्या जेम्स, जिनका बचपन से ही शौक रहा है- “टॉपर” बनना। उन्होंने बिना किसी कोचिंग या टेस्ट सीरीज या मॉक इंटरव्यू दिए 6ठी रैंक हासिल की है।
यह किसी के लिए भी चौंकाने वाला तथ्य हो सकता है, लेकिन नव्या ने ऐसा कर दिखाया है। वह भीड़ में शामिल होने के बजाय अपने तरीके से काम करना पसंद करती हैं। उन्होंने आईएएस के बजाय आईएफएस को तरजीह दी है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वो भारत का चेहरा बनना चाहती हैं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, “अभी तक यात्रा बहुत ही रोमांचक रही है। यूपीएससी की तैयारी के हर चरण का मैंने भरपूर आनंद लिया है। मैं हमेशा ही चीजें अपने तरीकों से करना चाहती थी।”
दूसरा मौकाः
यह उनका दूसरा प्रयास था। फिर भी उन्हें इतनी अच्छी रैंक की उम्मीद नहीं थी। लेकिन टॉपर बनना उसके जीन में है शायद। केरल के कोचिंग हब- कोट्टायम जिले के पाला शहर से आने के बावजूद उन्होंने कभी किसी कोचिंग सेंटर में पैर नहीं रखा। पहली कोशिश में वह प्रीलिम्स भी क्रैक नहीं कर सकी थीं।
उन्होंने कहा, “यह एक बड़ा सबक था, क्योंकि मैंने सीखा कि कैसे कारगर तरीके से परीक्षा की तैयारी की जाए।”
आईएफएस अंकल से मिली प्रेरणा
काफी पढ़े-लिखे परिवार से आने वाली 25 वर्षीया नव्या अपने पिता डॉ. सीके जेम्स की पैनी नजरों के सामने पली-बढ़ीं। पिता थॉमस कॉलेज से रिटायर प्रोफेसर हैं। उनकी मां डॉक्टर दीपा जॉर्ज भी प्रोफेसर रह चुकी हैं। गहना के अंकल सिबी जॉर्ज 1993 बैच के आईएफएस अधिकारी और जापान में भारतीय राजदूत हैं। वह बचपन से ही सिविल सेवाओं के लिए उनकी प्रेरणा रहे हैं।
गोल्ड मेडलिस्टः
नव्या ने अपनी स्कूली शिक्षा चावरा पब्लिक स्कूल, कोट्टयम से पूरी की। उन्होंने 12वीं सेंट मैरी स्कूल से की। फिर अल्फोंसा कॉलेज, पाला से हिस्ट्री में बीए किया और यूनिवर्सिटी टॉपर रहीं। सेंट थॉमस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसमें भी वह टॉपर थीं।
उन्होंने यूजीसी नेट परीक्षा में जूनियर रिसर्च फेलोशिप भी प्राप्त की। इस समय वह महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी कर रही हैं।
सिविल सर्विसः
वह रिसर्च से यूपीएससी में कैसे आईं? इस पर उन्होंने कहा, “मुझे यह काम बचपन से पसंद है। हाई स्कूल में जब मुझसे मेरी महत्वाकांक्षाओं के बारे में पूछा गया था, तो मैंने सिविल सेवा ही बताया था। लेकिन कॉलेज ज्वाइन करने के बाद मेरी रुचि रिसर्च में भी बढ़ गई।”
यूपीएससी के लिए खुद ही तैयारी की। उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशंस (पीएसआईआर) को चुना। उन्होंने अंग्रेजी और मलयालम अखबारों को अच्छी तरह से पढ़ा, क्योंकि इससे कई चीजों में मदद मिली।
यूपीएससी रणनीति
अपनी रणनीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास था कि अगर मैं सेल्फ-स्टडी चुनती हूं, तो मैं अपनी रणनीति को कारगर बना सकूंगी। इसलिए मेरे पास बहुत सोची-समझी टाइम टेबल थी। यह मेरी रुचि और रोजाना की गतिविधि के अनुसार बहुत कठोर नहीं, बल्कि लचीला और नियमित थी।
इंटरव्यू के लिए उनके छोटे भाई गौरव अमर जेम्स ने काफी मदद की। वह पढ़ाई के समय अकेली रहना पसंद करती हैं। वह कहती हैं, “क्योंकि इससे मुझे खुद के बनाए तरीके से पढ़ने में मदद मिलती है।”
इंटरव्यूः
पूछे गए अधिकतर प्रश्न उनके पसंदीदा विषयों से थे। जैसे-इंटरनेशनल रिलेशंस और इकोनॉमिक्स से थे। उनसे साइंस एंड टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इकोनॉमिक्स से भी प्रश्न पूछे गए थे। उनसे पूछा गया था कि “एआई जॉब मार्केट में बदलाव और रोजगार पर कैसे प्रभाव डालेगा?”
वह कहती हैं, “यह बहुत ही रोचक इंटरव्यू था। यह मेरी यात्रा के सबसे रोमांचक हिस्सों में से एक था।”
गुरुमंत्रः
यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सुझाव देती हुई वह कहती हैं कि प्रश्नों को लिखते या उत्तर देते समय अपने नजरिये में मल्टी डायमेंशनल होना चाहिए। अपने कौशल के बारे में आश्वस्त रहें। खुद को अपडेट करते रहें कि आपके आसपास और दुनिया में क्या हो रहा है। करेंट अफेयर्स तो चुटकियों में होना चाहिए।
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