पहली बार में ही 5वीं रैंक लाने वाले मयूर हजारिका हैं फुटबॉल प्रेमी और रूबिक क्यूब मास्टर
- Muskan Khandelwal
- Published on 31 May 2023, 2:08 pm IST
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हाइलाइट्स
- पेशे से हैं डॉक्टर, उनकी पहली पसंद भारतीय विदेश सेवा है
- उन्होंने सीएसई की तैयारी के लिए रोजाना 4-5 घंटे ही की पढ़ाई
- काम के दबाव और तैयारी के तनाव में तालमेल से बने बेमिसाल
तेजपुर, असम के एमबीबीएस डॉक्टर मयूर हजारिका के लिए यह अब सिर्फ सपना नहीं, हकीकत है। वह जिस आईएफएस यानी भारतीय विदेश सेवा में अधिकारी बनना चाहते थे, उसके लिए उन्होंने UPSC CSE -2022 में 5वीं रैंक हासिल कर ली है। वह भी पहली ही कोशिश में। हालांकि यह आसान नहीं रहा। दरअसल अपने मेडिकल वाले पेशे और यूपीएससी की तैयारी के बीच एक साल से अधिक समय तक उन्होंने काफी संघर्ष किया है।
किसी भी अन्य कैंडिडेट की तरह फुटबॉल का यह उत्साही प्रेमी और बेजोड़ रूबिक क्यूब सॉल्वर ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक में कड़ी चुनौतियों का सामना किया है। हजारिका ने अपने आप में कठिन और कैंडिडेट की अग्निपरीक्षा लेने के लिए मशहूर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का फैसला 2020 के बाद किया। तब डॉन बॉस्को का यह पूर्व छात्र गौहाटी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर निकला ही था।
डॉ. हजारिका ने एंथ्रोपोलॉजी को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। इसलिए कि यह मनुष्यों, उसके समाजों और संस्कृतियों के विकास के अध्ययन से संबंधित है। मेडिकल बैकग्राउंड से आने के कारण यह उनके लिए स्कोरिंग सब्जेक्ट था। 26 साल की उम्र में इस युवा डॉक्टर को यूपीएससी प्रीलिम्स में बहुत अच्छे मार्क्स आए। इसने उन्हें मेन्स की तैयारी के लिए नौकरी से छुट्टी लेने को प्रेरित किया।
नौकरी के साथ पढ़ाईः
यूपीएससी की तैयारी के दौरान डॉ. मयूर हजारिका को डॉक्टरी और सीएसई की तैयारी में तालमेल की चुनौतियों सामना करना पड़ा। इस तालमेल के लिए उन्होंने जिस दबाव और तनाव का सामना किया, वह कोई और सोच भी नहीं सकता।
हालांकि, अपने मजबूत इरादे के कारण वह नौकरी के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए रोजाना 4-5 घंटे निकालने में सफल रहे। इस लगन और जुनून का उन्हें फल तब मिला,जब उन्होंने यूपीएससी प्रीलिम्स को बहुत ही अच्छे मार्क्स के साथ पास किया। सफलता के इस स्वाद ने ही उन्हें और कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया। उनको समझ में आ गया था कि मेहनत रंग लाने वाली है। हालांकि उन्होंने कहा, “मुझे इतनी अच्छी रैंक मिलने की उम्मीद नहीं थी। रिजस्ट से मैं अब संतुष्ट हूं।” उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पहली पसंद भारतीय विदेश सेवा यानी आईएफएस है।
तनाव से निपटनाः
डॉ. मयूर ने माना कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान वह तनाव से जूझ रहे थे। फिर भी उन्होंने खुद को पॉजिटिव बनाए रखा। तनाव को हावी नहीं होने देने के लिए रास्ता खोजा। इस लगन और जुनून ने तैयारी की रणनीति बनाने और उस पर चलने में उन्हें कामयाब बनाया। इसका परिणाम यूपीएससी मेन्स परीक्षा में देशभर में 5वीं रैंक के रूप में आया।
स्मार्ट कामः
अपनी तैयारी की रणनीति के बारे में बात करते हुए डॉ. मयूर ने साधारण स्मार्ट वर्क के महत्व पर जोर दिया। जबकि कई यूपीएससी उम्मीदवारों का मानना है कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा की पक्की तैयारी के लिए कोई समय-सीमा पर्याप्त नहीं है। उन्होंने लक्ष्य पर ध्यान टिकाए रखने की वकालत करते हुए इस धारणा को खारिज कर दिया।
तैयारी के लिए इस तरह बनाई रणनीति:
सेल्फ स्टडीः उन्होंने कोचिंग में नहीं जाने का विकल्प चुना। सभी विषयों के लिए सेल्फ स्टडी का फैसला किया। उनका विश्वास है कि अनुशासित और एक जगह पर ध्यान लगाकर बिना कोचिंग के भी यूपीएससी निकाला जा सकता है। इस नजरिये ने उन्हें अपने स्टडी सेशन को अपनी क्षमता के हिसाब से बनाने की छूट दी।
ऑनलाइन लेक्चरर: ए/वी मीडियम की ताकत को पहचानते हुए मयूर ने यूपीएससी की तैयारी के लिए मुफ्त ऑनलाइन वीडियो लेक्चरर्स का इस्तेमाल किया। इस तरह की ऑनलाइन सुविधा ने उन्हें वहां मदद पहुंचाई, जहां खुद समझ में नहीं आ रहा था। इस तरह का ऑडियो-विजुअल जुड़ाव सबसे कारगर हथियार साबित हुआ।
स्मार्ट वर्क: कई अन्य सफल यूपीएससी कैंडिडेट की तरह मयूर हजारिका भी मानते हैं कि स्मार्ट वर्क ऐसी परीक्षाओं को क्रैक करने की चाबी है। स्टडी मटेरियल के विशाल समुद्र में डूबने के बजाय अपने मतलब के विषयों को चुनना और उन पर ही ध्यान लगा देना असल में अधिक महत्वपूर्ण होता है। फिर अंत में टाइम मैनेजमेंट तो है ही।
दरअसल चुनौतियों का सामना करने के बावजूद नौकरी और पढ़ाई के बीच तालमेल बनाने की क्षमता, तनाव से निपटने और स्मार्ट एवं सरल तरीके से तैयारी करने की क्षमता ने ही उन्हें यूपीएससी सीएसई में शानदार रैंक दिलाई है।
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