नौकरशाह माता-पिता की देखरेख में गौरी प्रभात ने यूपीएससी-2022 में पाई सफलता, आईं टॉप-50 में
- Pallavi Priya
- Published on 24 Jun 2023, 11:17 pm IST
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हाइलाइट्स
- आईएएस पिता और आईआरएस मां की बेटी गौरी ने भी सिविल सर्वेंट कम्युनिटी में बनाई जगह
- पहले इस परीक्षा में दो बार हो चुकी थीं फेल, उन्होंने 47 वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई-2022 भी पास की है
- माता-पिता की प्रेरणा और सलाह से मिली यूपीएससी क्रैक करने में मदद
माता-पिता की विरासत को बढ़ाकर उन्हें गौरवान्वित करने से बड़ी कोई भावना नहीं होती है। गौरी प्रभात ऐसी ही संतान हैं, जिन्होंने UPSC CSE 2022 में टॉप-50 में जगह बनाकर माता-पिता की इच्छा पूरी की है। आईआरएस अधिकारी हिमालिनी कश्यप और आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार की बेटी गौरी ने AIR 47 के साथ परीक्षा पास की है।यकीनन नौकरशाह माता-पिता होने का फायदा उन्हें हुआ, क्योंकि वे सही तरीके से राह दिखा सकते थे। फिर भी उनकी यात्रा चुनौतियों से रहित नहीं थी। आखिरकार यह उनका अपना मजबूत इरादा ही था, जिसने उन्हें आगे बढ़ाया। इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ एक विशेष बातचीत में जल्द ही आईएएस अधिकारी बनने वाली गौरी ने अपनी यूपीएससी यात्रा के बारे में काफी कुछ बताया।
माता-पिता ने दबाव नहीं डाला
यह सच है कि माता-पिता ने उन्हें कभी भी अपनी तरह नौकरशाह बनने के लिए मजबूर नहीं किया। यह सरकारी नौकरी के प्रति उनका समर्पण ही था, जिसने गौरी की उस क्षेत्र में रुचि जगाई। जब उन्होंने अपनी इच्छा बताई, तो उनके माता-पिता ने न केवल इमोशनली उनका सपोर्ट किया, बल्कि उनकी जर्नी में मेंटर की भूमिका भी निभाई।वह कहती हैं, “मेरे पिता हमेशा एक बहुत ईमानदार और मेहनती अधिकारी रहे हैं। मैंने देखा है कि उन्हें लोगों की मदद करने, उनकी समस्याओं को हल करने और उनकी पीड़ाओं को कम करने के अवसर मिले हैं। इससे मुझमें भी पब्लिक सर्विस की इच्छा पैदा हुई।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके माता-पिता हमेशा उन पर विश्वास करते थे। इस तरह तैयारी दौरान वे उनके लिए सोर्स ऑफ कॉन्फिडेंस थे।
नाकामी से मजबूती आई
परीक्षा में सफल होने से पहले गौरी को दो बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। पहली बार, प्रीलिम्स में और दूसरी बार- इंटरव्यू राउंड में। वह खुद को भाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें परिवार, प्रोफेसरों और करीबी दोस्तों से एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम मिला, जिसने उन्हें हर बार मजबूत होकर वापसी करने में मदद की।यह पूछने पर कि असफलताओं से वह कैसे निपटीं, तो उन्होंने कहा- “दरअसल यह एक चुनौतीपूर्ण यात्रा थी। वैसे एक चीज, जिसने मुझे असफलताओं से उबरने में मदद की, वह थी परीक्षा में बैठने के लिए अपनी सच्ची प्रेरणा को याद रखना। मैं अपने एजुकेशन का उपयोग देश के लोगों की सेवा में सार्थक रूप से करना चाहती थी।”
स्कूल की पढ़ाई से यूपीएससी में मदद
अधिकतर स्टूडेंट्स के उलट गौरी ने अपने स्कूल के दिनों में लगन से पढ़ाई की। स्कूल स्तर की किताबों पर अच्छी पकड़ होने से उन्हें यूपीएससी की तैयारी में मदद मिली। इससे उन्हें कोचिंग की मदद नहीं लेनी पड़ी।उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने इकोनॉमिक्स में ही पीजी भी किया। जाहिर है, इसीलिए यह उनके लिए ऑप्शनल सब्जेक्ट भी बना।
सलाह
वह यूपीएससी की तैयारी करने वालों को सलाह देती हैं कि वे खुद के प्रति ईमानदार रहें। खुद से परीक्षा में बैठने के लिए अपनी वास्तविक प्रेरणा के साथ-साथ तैयारी में किए गए प्रयासों के बारे में पूछते रहें। इससे उन्हें असफलताओं के बावजूद भी अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहने में मदद मिलेगी।सोशल मीडिया के उपयोग पर उन्होंने कहा, “मैंने अपने स्टडी शेड्यूल के दौरान ब्रेक लेने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग जरूर किया। समझदारी से इस्तेमाल करने पर यह तनावमुक्त होने में मददगार हो सकता है। यदि कोई अनुशासित है और अन्य चीजों के साथ पढ़ाई को सही ढंग से संतुलित करने में सक्षम है, तो उसे पूरी तरह से इससे दूर होने की कोई जरूरत नहीं है।अंत में, वह कैंडिडेट्स को प्रीलिम्स और मेन्स दोनों के लिए बेसिक बुक्स और अखबारों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देती है। जहां तक इंटरव्यू की बात है, तो वह कहती हैं कि केवल तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं- डीएएफ, करंट अफेयर्स और ऑप्शनल सब्जेक्ट।
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