स्कूल में खाना बनाती हैं माँ, बेटा UPSC CSE-2022 पास कर बन गया अफसर
- Pallavi Priya
- Published on 5 Jun 2023, 4:35 pm IST
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हाइलाइट्स
- बाधाओं के पार : डोंगरे रेवैया को दूसरी कोशिश में UPSC CSE-2022 में 410 रैंक मिली
- वह उस कलेक्टर से प्रेरित हैं, जिन्होंने आईआईटी में रजिस्ट्रेशन के लिए उनकी खातिर की थी क्राउडफंडिंग
- बेटे की इस कामयाबी के बाद भी मां बनाती रहेंगी सरकारी स्कूल में खाना
सरकारी स्कूल में मिड डे मील बनाने वाली के बेटे डोंगरे रेवैया के लिए सभी दुख, कठिनाइयां और संघर्ष तब कल की बात हो गई, जब उन्हें पता चला कि उन्होंने UPSC CSE 2022 को क्रैक कर लिया है। वह भी 410 रैंक के साथ।
जब वह चार साल के थे, तभी पिता गुजर गए। इसके बाद उन्हें पालने के लिए मां विस्तारा बाई ने एक सरकारी स्कूल में कुक की नौकरी कर ली। उनके पास ज्यादा पैसा नहीं था, लेकिन उन्होंने जीवन में आगे बढ़ने के लिए बेटे को हमेशा प्रेरित किया। बेटे ने भी मां को निराश नहीं किया। पहले IIT, फिर GATE और अंत में UPSC CSE को क्रैक कर दिखाया।
इंडियन मास्टरमाइंड्स के साथ डोंगरे रेवैया ने विशेष बातचीत की। इसमें उन्होंने तेलंगाना में कोमाराम भीम जिले के एक छोटे-से गांव से देश के सबसे एलिट पेशों में से एक तक पहुंचने की अपनी यात्रा के बारे में काफी कुछ बताया।
एक कलेक्टर ने प्रेरित कियाः
रेवैया ने 10वीं तक की स्कूली शिक्षा तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेसिडेंशियल स्कूल, आसिफाबाद से की। फिर इंटरमीडिएट के लिए हैदराबाद के TSWR जूनियर कॉलेज में चले गए। कड़ी मेहनत और लगन के कारण उन्होंने IIT JEE को क्रैक किया। उन्हें IIT मद्रास मिला। हालांकि, उनके पास इसके रजिस्ट्रेशन के लिए पैसे नहीं थे। तभी उनकी मदद में आगे आए जिले के कलेक्टर। उनसे ही रेवैया को यूपीएससी सीएसई के लिए कोशिश करने की प्रेरणा मिली।
इंडियन मास्टरमाइंड से बात करते हुए उन्होंने कहा, “रजिस्ट्रेशन के लिए मुझे बीस हजार रुपये चाहिए थे, लेकिन मां के पास इतने पैसे नहीं थे। तब जिले के कलेक्टर मदद के लिए आगे आए। फिर मेरे मंडल के कुछ लोगों की मदद से क्राउड फंडिंग की गई। मैंने अपने लिए जब यह सब होते देखा, तब सोचा- अगर मैं भी इस पद पर रहूं, तो कई लोगों की मदद कर सकता हूं।’
ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने AIR 70 के साथ गेट पास किया और ओएनजीसी में नौकरी की। चूंकि उन्हें यूपीएससी की तैयारी के दौरान पैसे की जरूरत थी, इसलिए उन्होंने नौकरी जारी रखी। इससे CSE 2021 में बैठे और फाइनल लिस्ट में आने से दो मार्क्स से रह गए। फिर भी इससे इतना विश्वास तो हो गया कि वह यूपीएससी निकाल सकते हैं। सो इस्तीफा दे दिया। फिर पूरी ताकत और तैयारी के साथ परीक्षा दी। इस बार वह पास हो गए। उन्होंने अधिकतर सेल्फ स्टडी ही की। हां, ऑप्शनल सब्जेक्ट मैथमेटिक्स के लिए कोचिंग की मदद जरूर लेनी पड़ी।
मां करती रहेंगी कामः
बेटे की सफलता के बाद भी मां ने अपना काम जारी रखा है। वह अपने काम की बहुत इज्जत करती हैं। इसने उनके परिवार को उस समय सहारा दिया, जब उन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत थी। खयाल रखने वाला बेटा होने के नाते रेवैया चाहते हैं कि मां अब आराम करें। इसलिए कि वह पिछले 20 सालों से लगातार काम कर रही हैं। हालांकि, वह मां के फैसले का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अब वह अपने पैसे से ही खाना बनाकर बच्चों को खिला सकती हैं।
वह कहते हैं, “एक कुक की सैलरी लगभग 1500 रुपये है। वह भी समय पर नहीं मिलता। इसके अलावा, उन्हें किराने का सामान खुद लाना पड़ता है। हालांकि बिल देने पर पैसे मिल जाते हैं। फिर ऐसे में वह बच्चों के लिए अच्छी चीजें नहीं ला पाती हैं। अब हम यह खर्च उठा सकते हैं। इसलिए मैंने मां को सुझाव दिया है कि वह अपने पैसे से खाना बनाएं और बांटें।” इससे मां के साथ उन्हें भी खुशी और संतुष्टि मिलेगी।
देखते रहें सपनाः
उनके लिए शिक्षा ही बदलाव का सबसे बड़ा हथियार है। वह अपने गांव से IIT में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। उनसे प्रेरित होकर कई लोग NIIT और अन्य कॉलेजों में गए। वह कहते हैं, “शिक्षा ने ही मेरी और मेरी आर्थिक स्थिति में बदलने में मदद की। साथ ही, इसने कई लोगों को बड़े सपने देखने और हासिल करने के लिए प्रेरित किया।”
यूपीएससी की तैयारी करने वालों से वह कहते हैं कि बड़ा सपना देखें। चाहे वे किसी भी बैकग्राउंड से आते हों। कठिनाइयां आएंगी, लेकिन अपने सपने से बंधे रहेंगे, तो जीवन जरूर बदल जाएगा। मजबूत इरादे और लगन के साथ कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है।
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