दिल्ली की सगी बहनें, जिन्होंने पिता के ख्वाब को एक साथ पूरा किया
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 14 Oct 2021, 3:21 pm IST
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हाइलाइट्स
- दिल्ली की सगी बहनों सिमरन-सृष्टि ने एक साथ पास की यूपीएससी परीक्षा
- बड़ी बहन सिमरन की 474 वीं और सृष्टि की 373 वीं रैंक आई है
- पिता का था सपना कि दोनों बेटियां सिविल सेवा में जाएं
- दोनों बहनें पास की ही लाइब्रेरी में जाकर करती थीं तैयारी
भारत की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी-2020 का जब अंतिम परिणाम आया तो सफलता की कई रोचक कहानियां भी सामने आईं। इन्हीं कहानियों में शामिल है उन सगे भाई-बहनों की कहानियां, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में एक साथ सफलता के झंडे गाड़े हैं। चाहे वो दिल्ली की सगी जैन बहनें अंकिता और वैशाली हों या आंध्र प्रदेश के सगे भाई रल्लापल्ली जगत साई और वसंथ कुमार हों, या फिर दिल्ली की ही दो सगी बहनें सिमरन और सृष्टि। इन सबकी प्रेरणादायक कहानियों ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा और हर कोई ये जानने को उत्सुक था कि आखिर कैसे परिवार के दो सदस्यों ने एक साथ यूपीएससी जैसी परीक्षा पास की।
आज हम आपको सिमरन और सृष्टि की कहानी बताने जा रहे हैं जो भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में जाकर देश की सेवा करना चाहती हैं। दोनों बहनें दिल्ली की हैं और यहीं पली-बढ़ी हैं। उनके पिता नीरज कुमार प्रॉपर्टी डीलर हैं और मूलता आगरा के रहने वाले हैं, वहीं उनकी मां सुमन ग्रहणी हैं। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए दोनों बहनों ने बताया कि उनके यूपीएससी पास करने के पीछे उनके पिता की प्रेरणा है। बचपन से ही उनके पिता दोनों बहनों को आईएएस बनने के लिए प्रेरित करते थे। सिमरन ने यूपीएससी परीक्षा में 474 वीं और सृष्टि ने 373 वीं रैंक हासिल की है।
कोरोना के मुश्किल वक्त में दोनों बहनों ने पढ़ाई के लिए ऑनलाइन विडियोज से भी मदद ली। वहीं, दोनों एक-दूसरे से तैयारी के लिए खूब सवाल पूछा करती थीं। सृष्टि अर्थशास्त्र से पढ़ी थीं तो वो सिमरन को आर्थिक विषय से संबंधित सब कुछ पढ़ा देती थीं। वहीं सिमरन की पृष्ठभूमि विज्ञान की थी, तो वो सृष्टि को विज्ञान और गणित में सहायता करती थीं। दोनों साथ बैठकर अपनी तैयारी की रणनीतियां बनाते थे। रोजाना एक-दूसरे के इंटरव्यू लिया करते थे। जब भी किसी का लो फेज आता था तो दूसरा उसे प्रेरित करता था। अपनी तैयारी के वक्त दोनों बहनें सोशल मीडिया से दूर रहीं, बस ट्विटर को देश-विदेश की खबर के लिए, टेलीग्राम को यूपीएससी कंटेंट के लिए और जीमेल को डाटा आदान-प्रदान के लिए इस्तेमाल किया।
सिमरन जिन्हें साइन्स पसंद थी, पर पापा ह्यूमैनिटीज दिलाना चाहते थे
इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से बात करते हुए 24 साल की सिमरन कहती हैं, “ये यात्रा मेरे लिए बहुत ही बदलाव वाली रही, क्योंकि जब हम ये यात्रा शुरू करते हैं तो इसकी चुनौतियां और उतार-चढ़ाव नहीं देख पाते हैं। लेकिन जैसे ही ये शुरू होती है और हमारी सहभागिता इसमें बढ़ती है, तब हम समझ पाते हैं कि ये क्या है। एक व्यक्ति के तौर पर इस यात्रा ने मुझे पूरी तरह बदल दिया है।” सिमरन जब 10 वीं में थीं, तभी से उनके पापा ने मन बना लिया था कि उन्हें ह्यूमैनिटीज (मानविकी) के विषयों के साथ पढ़ाएंगे और आईएएस बनाएंगे। लेकिन सिमरन को साइन्स पसंद थी और आखिरकार उन्होंने वही लिया, लेकिन अब वो अपने पापा के भी ख्वाब को भी पूरा कर चुकी हैं।
शिक्षा: सिमरन की 12 वीं तक की पढ़ाई दिल्ली के रोहिणी में स्थित वीएसपीके इंटरनेशनल स्कूल से हुई है। इसके बाद उन्होंने ‘इन्दिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन’ से ‘मैकेनिकल और ऑटोमेशन इंजीनियरिंग’ में बी.टेक. किया। सिमरन बताती हैं कि उन्होंने कॉलेज के दूसरे साल 2017 में ही तय कर लिया था कि उन्हें अब यूपीएससी की तैयारी करनी है, इसीलिए वो कॉलेज के ‘ऑन कैम्पस’ प्लेसमेंट में भी नहीं बैठीं और कोई जॉब नहीं की। अपना पूरा ध्यान सिर्फ तैयारी पर लगाया।
यूपीएससी तैयारी:
सिमरन ने अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने दिल्ली में ही तैयारी के लिए कोचिंग भी की। उनका वैकल्पिक विषय लोक प्रशासन (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) था।
प्रीलिम्स: इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से सिमरन ने बताया कि प्री परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने अपने खुद के सारे नोट्स बनाए थे। जो भी स्टैंडर्ड किताबें बताई जाती हैं, उनसे पढ़ाई की और शॉर्ट्स में नोट्स बनाए। मॉक टेस्ट पर उन्होंने खास ध्यान दिया और लगभग 100 से ज्यादा मॉक टेस्ट पेपर हल किए।
मेंस: सिमरन बताती हैं कि मेंस के लिए तैयारी में सबसे पहले जो भी अतिरिक्त विषय थे, जैसे कि आंतरिक सुरक्षा (इंटरनल सेक्युर्टी) और नीतिशास्त्र (एथिक्स) आदि, उन सब के लिए लिए नोट्स पहले से ही बना लिए थे। मेंस के ठीक पहले उन्हें अच्छे से पढ़ा। आन्सर राइटिंग लिखन का खूब अभ्यास किया। अपनी बहन के साथ मिलकर एक-दूसरे के उत्तर चेक किए।
इंटरव्यू: इंटरव्यू की तैयारी के लिए मैंने पर्सनालिटी (व्यक्तित्व) टेस्ट में पूछे जाने वाले हर संभव प्रश्न की तैयारी की। मिरर प्रैक्टिस यानि शीशे के सामने खड़े होकर अभ्यास किया। अपनी बहन के साथ मिलकर एक-दूसरे का इंटरव्यू लिए। मैंने कई जगहों पर मॉक इंटरव्यू भी दिये।
इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल
सिमरन कहती हैं, “मेरा इंटरव्यू बहुत अच्छा गया था। मेरे ऑप्शनल विषय लोक प्रशासन से कई सवाल पूछे गए। मेरी हॉबी लॉन टेनिस और फिल्में देखना है, उससे भी कई सवाल थे। मसलन स्पोर्ट्स पॉलिसी कैसी होनी चाहिए, स्पोर्ट्स इनफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल पूछे गए। इसके साथ इंटरव्यू मेम्बर्स मे एक मजेदार केस स्टडी भी पूछी जो कि मेरी पृष्ठभूमि ‘मैकेनिकल और ऑटोमेशन इंजीनियरिंग’ से थी। उन्होंने पूछा कि अगर आप एक पूरी तरह ऑटोमेटिक कार में यात्रा कर रहे हो और आपका क्किडेंट होने वाला है, तो आप सड़क पर पैदल चल रहे लोगों को बचाएंगे या खुद को, और क्यों? कुल मिलकर अपने पूरे इंटरव्यू के दौरान मैं बहुत सहज थी।
यूपीएससी परीक्षार्थियों के लिए सुझाव
सिमरन कहती हैं कि यकीन मानिए कोई भी किसी भी पृष्ठभूमि से हो, ये परीक्षा पास कर सकता है। बस कुछ चीजें हैं जिसका ध्यान रखना होगा, हार्ड और स्मार्ट वर्क एक साथ करना है, अपने गोल पर पूरी तरह समर्पित और फोकस रहना है, और सबसे जरूरी कि आपको धैर्य रखना है।
मिशन
सिमरन कहती हैं कि मैंने 2009 बैच की आईएफएस अधिकारी विदिशा मैत्रा को यूएन में इमरान खान को रिप्लाइ देते हुए देखा था और मुझे बहुत प्रेरणा मिली थी। तभी से आईएफएस मेरा भी सपना बन गया। इसीलिए मैंने आईएफएस को पहली वरीयता दी है, दूसरी आईएएस को।
सृष्टि जिन्हें अपने पहले ही प्रयास में मिली सफलता
23 साल की सृष्टि का मानना है कि उनकी बहन की तरह उनकी यूपीएससी यात्रा भी काफी बदलाव लाने वाली रही। इंडियन मास्टरमाइण्ड्स से वो कहती हैं, “2019 में कॉलेज के आखिरी साल में मैंने तय कर लिया था कि अब यूपीएससी की तैयारी करूंगी। कॉलेज खत्म होने के बाद मैंने 1 साल का ब्रेक लिया और सिर्फ तैयारी की। ये मेरा पहला प्रयास था और मैं सफल रही। अब मैं यही उम्मीद करती हूं कि जब हम सेवा में जाएं तो और बेहतर इंसान बनूं और देश के लिए कुछ कर सकूं।” सृष्टि को पाउलो कोएल्हो की ‘एल्केमिस्ट’ किताब बहुत पसंद है और वो इसे कई बार पढ़ चुकी हैं।
शिक्षा: दोनों बहनों ने 12 वीं तक की पढ़ाई वीएसपीके इंटरनेशनल स्कूल से की है। इसके बाद सृष्टि ने दिल्ली विश्वविद्यालय के बेहद प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स कॉलेज से इकनॉमिक ऑनर्स में बी.ए. किया। स्नातक पूरा होने के बाद वो तैयारी करने लगीं।
यूपीएससी की तैयारी
यूपीएससी के लिए सृष्टि ने भी कुछ महीने के लिए कोचिंग ली। उनका वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र था। इसके पीछे का कारण वो बताती है कि उनके अंदर देश के विभिन्न सामाजिक मुद्दों को जानने की एक उत्सुकता हमेशा बनी रहती थी। दूसरे समाजशास्त्र को एक बहुत ही अच्छा स्कोरिंग पेपर माना जाता है।
प्रीलिम्स: सृष्टि कहती हैं कि प्री परीक्षा के लिए मैंने जो किताबें सुझाई जाती हैं उन्हें अच्छे से पढ़ के नोट्स बनाए। लेकिन ये नोट्स ऐसे थे कि प्री और मेंस दोनों में मेरे काम सकें।
मेंस: मेंस के लिए सृष्टि ने भी वही फॉर्मूला अपनाया जो उनकी बड़ी बहन ने किया था। खूब आन्सर राइटिंग का अभ्यास और पुराने क्वेस्चन पेपर्स व मॉक पेपर्स हल करना। अपने ध्यान को भटकने नहीं दें।
इंटरव्यू: साक्षात्कार के लिए सृष्टि की एक पूरी अलग रणनीति थी। चूंकि वहां कम्युनिकेशन पर विशेष ध्यान दिया जाता है, इसलिए सृष्टि ने उसके लिए खूब तैयारी की। अपनी बहन के साथ मिलकर एक-दूसरे का इंटरव्यू लिया और मिरर प्रैक्टिस की। साथ ही कई कोचिंग्स में मॉक इंटरव्यू भी दिये।
इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल
सृष्टि बताती हैं कि इंटरव्यू से पहले एक डैफ (DAF- डीटेल एप्लिकेशन फॉर्म) फॉर्म भरा जाता है। मुख्यता इंटरव्यू उसी के अराउंड होता है। उन्होंने मुझसे अर्थशास्त के विषय में खूब सवाल किए, क्योंकि मेरी पृष्ठभूमि उसी की है। उनके कुछ सवाल थे, जैसे सेंसेक्स लगातार बढ़ रहा है तो इससे क्या फर्क पड़ेगा? मुद्रा स्फीति को कैसे नियंत्रित करेंगे? आरबीआई की मौद्रिक नीति पर भी सवाल पूछे थे, मेरे वैकल्पिक विषय समाजशास्त्र पर सवाल थे, साथ ही अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी सवाल किए गए।
यूपीएससी परीक्षार्थियों के लिए सुझाव
उनके लिए सृष्टि कहती हैं, “यूपीएससी की तैयारी कर रहे लोगों के लिए मेरी एक ही सलाह है कि जितनी मेहनत करेंगे, उतना फायदा होगा और आपका रिजल्ट उतना बेहतर होगा। मुझे सिर्फ हार्डवर्क ही यूपीएससी पास करने का एक मात्र जरिया लगता है।”
मिशन
अपनी बहन की तरह ही सृष्टि की भी पहली कैडर वरीयता आईएफएस ही है। वो कहती हैं, “मैं यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं। इसके अलावा बेटियों को भी आगे बढ़ाने पर मुझे काम करना है। मुझे जो भी काम दिया जाएगा, उसे 100 फीसदी पूरा करने पर फोकस रहेगा।”
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