Exclusive: यूपीएससी टॉपर इशिता किशोर आज ऊपर, आसमान नीचे
- Bhakti Kothari
- Published on 25 May 2023, 3:18 pm IST
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हाइलाइट्स
- यूपीएससी-सीएसई 2022 की टॉपर बनी हैं इशिता किशोर
- तीसरे प्रयास में यूपीएससी-सीएसई में पाई सफलता
- पीएसआईआर को बनाया वैकल्पिक विषय, लेखन शैली का हुआ लाभ
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के नतीजे जब घोषित हुए, तब राजधानी दिल्ली कड़ी धूप में तप रही थी। वक्त मंगलवार दोपहर में करीब 1.30 बजे का था। इस परीक्षा के परिणाम का पूरा देश सुबह से ही सांसें रोककर इंतजार कर रहा था। आयोग की वेबसाइट पर जारी हुए नतीजों ने एक बार फिर दिखा दिया कि बेटियों ने टॉप-3 स्थानों पर फिर कब्जा कर लिया है। बोनस के रूप में चौथी रैंक भी एक बेटी के हिस्से ही आई। सूची में टॉप पर इशिता किशोर का नाम था, जिन्होंने इस कठिन परीक्षा में देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने इशिता से खास बातचीत कर उनकी तैयारियों और यूपीएससी सीएसई का टॉपर होने पर हुए सुखद अहसासों के बारे में जाना।
यूपीएससी की यात्रा
इशिता जैसी-जैसी बड़ी हो रही थीं, वैसे-वैसे उनमें देश में बदलाव लाने की इच्छा निरंतर बढ़ती रही। उन्हें पता था कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा से ही उनकी यह इच्छा पूरी हो सकती है। अटूट दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए अपनी यात्रा शुरू की।
दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए (ऑनर्स) करने वाली इशिता ने अपनी पढ़ाई जमकर की। प्रत्येक विषय को व्यवस्थित रूप से कवर किया और महत्वपूर्ण जानकारियों को अच्छी तरह से समझा। उन्होंने आईपीएस अधिकारी महेश भागवत जैसे अनुभवी सलाहकारों से सलाह मांगी और अपने ज्ञान और क्षमताओं का विस्तार किया।
इशिता ने कहा, ‘मैंने राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में लिया। इसलिए कि मुझे यह दिलचस्प लगा। साथ ही पता था कि मैं इसमें बहुत कुछ लिख सकती हूं। इसलिए मैंने अपने लेखन कौशल को कारगर हथियार बनाया। फिर आगे बढ़ने का फैसला किया।’
कड़ी मेहनत और निरंतरता
अर्थशास्त्र में स्नातक इशिता सिविल सेवा परीक्षाओं में दो बार विफल रही हैं। लेकिन यह उसकी दृढ़ता और कभी हार न मानने वाला रवैया था, जिसने वास्तव में उन्हें सबसे अलग किया। अनगिनत बाधाओं और निराशाओं के बावजूद वह केंद्रित और अटल बनी रहीं।
मधुबनी पेंटिंग में रुचि रखने वाली इशिता ने आगे बढ़ने के लिए काफी मेहनत की है। उन्होंने धीरे-धीरे अपनी परीक्षाएं पास कीं और इंटरव्यू तक पहुंची। वहां उनसे उनकी खेल पृष्ठभूमि से संबंधित प्रश्न पूछे गए।
राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल खिलाड़ी रह चुकीं इशिता से पूछा गया था कि वह प्रशासन में मदद के लिए अपने खेल के अनुभव का उपयोग कैसे करेंगी। इस पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी होने के कारण उन्हें निरंतरता बनाए रखने में मदद मिली है, जो प्रशासन में बहुत उपयोगी होगा।
सभी का जताया आभार
इशिता अपनी इस उपलब्धि बहुत खुश हैं। वह अपनी दृढ़ता के अलावा अपने परिवार के समर्थन को अपनी उपलब्धि का श्रेय देती हैं। पिता संजय किशोर भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे। उनका 2004 में ही निधन हो गया। तब से मां ज्योति किशोर ने ही परिवार को संभाला। बड़े भाई ईशान वकील हैं। इशिता कहती हैं, ‘मेरी मां मेरी रीढ़ रही हैं और मैं वास्तव में उन सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं जो मेरे साथ इस यात्रा में शामिल रहे।’
इशिता के भविष्य के लक्ष्यों में अधिकतम जिम्मेदारी और समर्पण के साथ देश की सेवा करना शामिल है। चाहे उनकी तैनाती कहीं भी हो।
उन्होंने इंडियन मास्टरमाइंड्स से, ‘पिता भारतीय वायु सेना में थे, इसलिए देश सेवा का विचार मुझमें गहराई से समाया हुआ है। सिविल सेवा सबसे महत्त्वपूर्ण मंचों में से एक है और मुझे उम्मीद है कि भविष्य में मुझे जिस भी पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, मैं अपनी पूरी क्षमता से देश की सेवा करके इसे पूरा कर सकूंगी।’
अन्य के लिए टिप्स
इशिता के पास उन सभी अभ्यर्थियों के लिए एक बेहद ही बढ़िया संदेश है, जो इस वर्ष सिविल सेवा परीक्षा में सफल नहीं हो सके। इंडियन मास्टरमाइंड्स के माध्यम से उन्होंने कहा, ‘मैं आपकी तरह ही हूं और जानती हूं कि यह आसान नहीं है। परीक्षा को पास करने में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है और यह बहुत थका देने वाला हो सकता है। लेकिन अगर आपको वास्तव में विश्वास है कि आप इसे कर सकते हैं, तो आपको निश्चित रूप से उतनी बार प्रयास करनी चाहिए जितनी बार आप कर सकते हैं।
उनका मानना है कि यूपीएससी की तैयारी करने वालों के जीवन में हर दिन एक चुनौती है, क्योंकि उन्हें आत्म-अनुशासन और बिना किसी परिणाम की उम्मीद के कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। फिर भी किसी भी चीज की परवाह किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ देना और अच्छा प्रदर्शन करना होता है। यही कारण अभ्यर्थी को सही मायने में विशेष बनाता है।
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