उरी हमले ने दी हौसले को उड़ान, सेवा के लिए यूपीएससी निकाल दिखाया
- Bhakti Kothari
- Published on 16 Jun 2023, 2:27 pm IST
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हाइलाइट्स
- 2021 बैच की आईएएस अधिकारी दिव्या मिश्रा ने दो बार यूपीएससी सीएसई की परीक्षा पास की
- दूसरे प्रयास में उन्हें आईआरटीएस मिला था, लेकिन फिर प्रयास कर वह आईएएस अधिकारी बन गईं
- वह अभी हरदोई में बीडीओ के रूप में तैनात हैं
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी दिव्या मिश्रा की संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में सफलता की यात्रा उनके दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और जुनून को दर्शाने वाली एक प्रेरक कहानी है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मीं दिव्या ने हमेशा समाज में बदलाव लाने का सपना देखा था। इस मकसद के लिए वह आईएएस अधिकारी बन भी गईं।
मिश्रा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई उन्नाव के जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की। टेक्सटाइल में बी.टेक छात्रा ने गेट 2016 के इम्तिहान में देश भर में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने एक निगम में तीन वर्षों तक कार्य किया और भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ से रणनीतिक प्रबंधन में पीएचडी किया।
उरी हादसाः
मिश्रा का मानना है कि 18 सितंबर, 2016 को उरी में हुए आतंकी हमले में देश के कई वीर जवानों की जान चली गई। इसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। इस हमले ने उनके सफल होने की इच्छा को भड़का दिया।
एक इंटरव्यू में वह कहती हैं, ‘मेरे भाई का चयन भारतीय सेना में हुआ था। वह अब एक लेफ्टिनेंट है। मेरे परिवार में किसी ने कभी सेना में सेवा नहीं की थी। इसी बीच उरी हमला हुआ और इसने मुझे फिर से सोचने के लिए प्रेरित किया। मैं सिविल सेवा में करियर बनाना चाहती थी, क्योंकि अपने भाई की तरह मैं भी देश की सेवा करना चाहती थी।’ इस दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने इस कठिन परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
तीसरे प्रयास में सफलताः
महिला अधिकारी ने पहली बार साल 2018 में यूपीएससी सीएसई की परीक्षा दी। उन्होंने स्वाध्याय और ऑनलाइन संसाधनों के माध्यम से तैयारी की थी। दुर्भाग्य से उस साल महज चार अंक कम रहने के कारण चयन नहीं हो सका। फिर भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और दुबारा पूरी तन्मयता से तैयारी में जुट गईं। बेहतर तैयारी और मार्गदर्शन के साथ दूसरे प्रयास में उन्हें 312वीं रैंक आई। इससे उन्हें भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) के लिए चुना गया।
लेकिन जब उन्होंने अपने देश की सेवा करने का फैसला किया था, तब उनके मन में इतना-साथ नहीं था। इसलिए उन्होंने एक और प्रयास किया. क्योंकि उन्हें पता था कि आईएएस में ही उनका मन रचा बसा है।
हुईं कामयाबः
इस बार उन्होंने सावधानीपूर्वक अध्ययन की योजना तैयार की। खास लक्ष्य बनाए और अनुशासित दिनचर्या तैयार की। उनका अटूट ध्यान और समर्पण उनके मार्गदर्शक सिद्धांत बन गए। और बाकी इतिहास बन गया। मिश्रा की कड़ी मेहनत कामयाब रही। वह 2020 की यूपीएसस सीएसई में देश भर में 28वां स्थान लाकर आईएस अधिकारी बन गईं।
वह अपने तीनों प्रयास में इंटरव्यू के दौर तक पहुंची थीं। उन्होंने बेहतर आंकड़ों और विषयों के बेहतर विश्लेषण के साथ ज्ञान अर्जित कर परीक्षा की तैयारी की।
उन्होंने कहा, ‘अधिक से अधिक प्रश्न पत्र और मॉक टेस्ट हल करने से मुझे यूपीएससी में सफलता हासिल करने में बहुत मदद मिली। विषयों का सटीक ज्ञान और स्पष्ट तथ्य भी प्रीलिम्स निकालने के लिए बहुत जरूरी हैं।’
मिश्रा का मानना है कि अपनी योजना में अधिक संगठित दृष्टिकोण और कई अभ्यासों में शामिल होने से ही वह सफल हो सकीं।
भविष्य की योजनाएं
दिव्या मिश्रा अभी उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के हरियावां गांव में प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ के पद पर तैनात हैं। एक आईएएस अधिकारी के रूप में वह शिक्षा सुधार, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तीकरण जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्न पदों पर सेवा देना चाहती हैं।
लोक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता और समस्याओं के समाधान के लिए अभिनव दृष्टिकोण के कारण वह काफी सराहना बटोर रही हैं। उन्होंने अपने सहयोगियों और अधीनस्थों का सम्मान भी हासिल किया है।
उनकी सफलता की कहानी हमें बताती है कि समर्पण, दृढ़ता और जुनून के साथ कोई भी अपने सपनों को हासिल कर सकता है।
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