इस महिला अधिकारी ने बताया कि क्यों आनंद से भरी यात्रा भर नहीं है सिविल सेवा!
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 2 Oct 2021, 12:47 pm IST
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हाइलाइट्स
- डॉक्टर से आईएएस बनी इस महिला अधिकारी द्वारा दी गई सलाह को सुनने के बाद, कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में कुछ बेहतर और शानदार करने के लिए प्रेरित होगा।
- क्या सिविल सेवा मुख्य रूप से लोगों की सेवा करना और छोटी-छोटी चीजों को बेहतर बनाना ही है?
- डॉ. आकांक्षा भास्कर, आईएएस
जीवन गुलाबों की सेज नहीं है – और न ही किसी को समझना चाहिए।
वाराणसी की रहने वाली डॉ. आकांक्षा भास्कर का उदाहरण हमारे सामने हैं। वह 2015 तक एक सफल चिकित्सक थीं और फिर सिविल सेवाओं में शामिल हो गईं। वो अब भी अपने सिविल सेवाओं से पहले के सुख-सुविधाओं से भरे दिन याद करती हैं।
लेकिन क्या अब उन दिनों के अभावों ने आकांक्षा को परेशान कर दिया है? यकीन मानिए, बिल्कुल नहीं। आकांक्षा एक सरल मुस्कान के साथ ईशारा करती हैं कि चीजें आखिर में संतुलित हो जाती हैं। यह पूरी तरह से आप पर निर्भर है कि आकांक्षाओं और सपनों में से आप क्या चुनते हैं, आपके जीवन के लिए क्या सबसे अधिक मायने रखता है!
डॉ. आकांक्षा ने 2015 में 76 वीं रैंक के साथ सिविल परीक्षा पास की थी। वह 2014 में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई पूरी कर एक सफल चिकित्सक बन चुकी थीं। लेकिन उनका सपना सिविल सेवा में जाने का था और बाद में वह दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेस की तैयारी करने लगीं। उन्होंने सिविल सिविल की परीक्षा में मुख्य विषय के रूप में ‘मेडिकल’ विषय लिया था।
“एक डॉक्टर के रूप में, मैं एक स्वतंत्र और खुद तक सीमित व्यवस्था में काम कर रही थी। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह एक महान पेशा है, जाने कितने लोगों की पसंद का कैरियर है। लेकिन सिविल सेवा आपको पूरी तरह से एक अलग लीग में रखती है। यहां आप समाज के लिए बदलाव का एक साधन बन जाते हैं। अपने प्रयासों को सफल होते देखने की संतुष्टि, बड़ी संख्या में लोगों को खुश करना, आपके जीवन को आनंद से भर देता है। यह आपको एक विशेष प्रकार की किक देता है, जो आपको किसी अन्य पेशे में नहीं मिलती है।”
– ‘डॉ. आकांक्षा’, एक वीडियो संदेश में
डॉ. आकांक्षा कहती हैं, “अगर आपकी उम्मीदें हद से ज्यादा बड़ी नहीं हैं, तो आपका बहुत अच्छे से ध्यान रखा जाएगा। बस चांद की उम्मीद मत करो।”
छोटे कदमों का महत्व
उसी पल, वह एक चेतावनी भी जोड़ती हैं जो थोड़ी अटपटी लग सकती है। लेकिन वास्तव में, यह एक युवा आईएएस अधिकारी को और अधिक संसाधनपूर्ण बनाएगा, और शायद अधिक संतुष्ट भी करेगा।
वो कहती हैं, “यह उम्मीद मत रखो कि आप दुनिया को बदल दोगे। आप ऐसा वास्तव में नहीं कर सकते।” और फिर तेजी से आगे कहती हैं, “लेकिन आप लोगों और एक समुदाय के लिए जो कुछ भी करेंगे और नौकरशाह के रूप में आपके द्वारा जो भी छोटे कदम उठाए जाएंगे, उनके जीवन को बदलने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। और उम्मीद है, आपका भी।”
एक युवा आईएएस अधिकारी के रूप में कई ऐसे ‘छोटे कदम’ जो उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र के लोगों के लिए उठाए, उनके लिए बहुत मायने रखते हैं। इनमें शामिल है-
- 20 सालों से उनके ब्लॉक की लड़कियों के स्कूल में कुछ स्थानीय मुद्दों की वजह से शौचालय नहीं था। आकांक्षा ने इस मामले को स्वयं अपने हाथों में लिया और लंबे समय से लंबित मुद्दों को सुलझाया और स्कूल में शौचालय बन गया।
- एक व्यक्ति ने अपनी युवा पत्नी को अपने घर से बाहर निकाल दिया और उसके दो महीने के बच्चे को छीन लिया। उनके कार्यालय के द्वारा हस्तक्षेप किया गया और युगल में सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता हो गया।
- उनके ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले संथाल गांव में, आजादी के 70 साल बाद भी पानी की आपूर्ति नहीं थी। वो कहती हैं, “मैंने अपने कर्मचारियों के साथ कई बैठकें की, पुराने रिकॉर्ड निकाले और कुछ हफ्तों के भीतर ही कॉलोनी में पानी पहुंच गया। जब भी मैं गांव का दौरा करती हूं, मुझे अपने चारों ओर बेहद खुश चेहरे दिखाई देते हैं और मेरा दिल खुशियों से भर जाता है।”
आज भी छुट्टियों के दिनों में आकांक्षा घर पर नहीं रुकती, बल्कि ग्रामीण इलाकों में जाकर स्वास्थ्य सेवाओं में अपना योगदान देती हैं। वह हर संभव प्रयास करती है कि अस्पतालों में किसी भी चीज की कोई कमी न रहे।
शीर्ष पर अकेलापन
कभी-कभी, एक आईएएस के लिए बिना किसी करीबी दोस्त के जीवन अकेलापन बन जाता है। वो कहती हैं, “मैं अभी भी बड़े शहरों में रह रहे अपने कॉर्पोरेट दोस्तों द्वारा फेसबुक पोस्ट पर टैग की जाती हूं। उसी समय मेरा एक सहयोगी एक ऐसी जगह पर काम कर रहा होता है, जहां एक सिनेमा हॉल भी नहीं है।”
“लेकिन जैसा कि मैं हमेशा कहती हूं, एक खुशहाल जीवन वास्तव में एक संतुलित क्रिया है। एक तरफ, आप अत्यधिक अकेले है और जीवन में विलासिता की कमी है। लेकिन दूसरी तरफ, आप किसी समुदाय के लिए किए गए उन कार्यों के गहरे महत्व को समझते हैं, जिन्हें बहुत शक्तिशाली कॉर्पोरेट भी नहीं कर सकते हैं।”
लेकिन सिविल सेवा के अधिकारियों के लिए डॉ. आकांक्षा की कहानी को काम करने वाले मैनुअल के रूप में लेना अनुचित होगा। बेहतर तो यही है कि सभी को अपनी कहानियों और कथाओं का निर्माण करना होगा।
डॉ. आकांक्षा की कहानी कई सफल और प्रख्यात सिविल सेवकों के साथ प्रभावशाली तरीके से सामने आती है, और उन सभी को एक सूत्र में पिरोने वाला एक सामान्य सा धागा है। उनमें से प्रत्येक, अपने अंदर कहीं गहरे में बसे भावों का अनुसरण कर रहा है।
इसे सामाजिक बदलाव लाने, वंचित समुदाय की बेहतरी के लिए काम करने या अपने घर से बाहर निकाल दी गई एक युवती को न्याय दिलाने के लिए ज्वलंत इच्छा कह सकते हैं। संक्षेप में अगर कहें, तो वे चीजें को ठान लेते हैं और करते हैं।
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