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धनबाद की बेटी अनुराधा मिश्रा पहले 4 बार फेल हुईं, फिर AIR 3 के साथ किया UPSC IFS 2022 में टॉप
- Bhakti Kothari
- Published on 6 Jul 2023, 10:32 am IST
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हाइलाइट्स
- पहले फेल होने पर भी हौसला बना रहा, इसलिए पांचवीं कोशिश में हासिल की तीसरी रैंक
- वैसे वह बनना चाहती हैं आईएएस अधिकारी, इसलिए UPSC CSE को क्रैक करने के लिए फिर देंगी परीक्षा
- यूपीएससी सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्होंने 2017 में छोड़ दी थी बढ़िया नौकरी
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने हाल ही में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS)-2022 का फाइनल रिजल्ट जारी किया है। टॉप-3 में कोल्लुरु वेंकट श्रीकांत, साहिल पोसवाल के साथ अनुराधा मिश्रा रहीं। उन्होंने तीसरा स्थान हासिल किया है।अनुराधा के लिए यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। इसलिए कि उन्होंने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि पहले चार कोशिशों में लगातार फेल होने के बाद तीसरी रैंक हासिल की।इंडियन मास्टरमाइंड्स ने अनुराधा से उनकी आईएफएस की जर्नी के बारे में अधिक जानने के लिए बात की।
बैकग्राउंड
झारखंड के धनबाद जिले की रहने वाली अनुराधा ने अपनी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई जिले के डीएवी कोयलानगर स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए बिट्स पिलानी में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने 2015 में कंप्यूटर साइंस में बी.ई. किया। चीफ मेडिकल ऑफिसर आरडी मिश्रा और प्रभा मिश्रा की बेटी अनुराधा ने 2015 से 2017 तक नोएडा में सैमसंग रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया।
फेल होने का सिलसिला
अनुराधा को नौकरशाह बनते देखना पिता का सपना था। उन्हें गौरवान्वित करने के लिए उन्होंने 2017 में अपनी अच्छी नौकरी छोड़ दी और सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने 2018 में यूपीएससी सीएसई में पहला प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद फेल होने का सिलसिला शुरू हो गया। वह 2020 और 2021 में दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद भी पांच प्रयासों में एक बार भी सिविल सेवा परीक्षा में सफल नहीं हो सकीं।लगातार मिल रही असफलताओं से निराश न होते हुए अनुराधा ने सीएसई की तैयारी के साथ-साथ इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की परीक्षा भी देने का फैसला किया। उन्होंने 2018 में IFoS में वह पहली बार बैठीं, लेकिन वह पास नहीं कर सकीं। इसके बाद 2019, 2020 और 2021 में भी फेल हो गईं।
तैयारी
इसलिए अनुराधा ने अपनी तैयारी के तरीके में बदलाव लाने का फैसला किया। उन्होंने फॉरेस्ट्री और एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग को अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में चुना और सबसे पहले विषयों से संबंधित सभी बेसिक बुक्स को कवर करते हुए तैयारी शुरू की। उन्होंने कोचिंग भी ज्वाइन किया और अपनी गलतियों को समझने और सुधारने के लिए जितनी संभव हो उतनी टेस्ट सीरीज दी।इसके साथ ही, उन्होंने पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों की ईमानदारी से प्रैक्टिस की। उन्हें हल किया, जो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। इसलिए कि इससे उन्हें आखिरकार पांचवीं कोशिश में IFoS निकालने में मदद मिली।
इंडियन मास्टरमाइंड्स से अनुराधा ने कहा, “जब मैंने रिजल्ट देखा, तो यह मेरे लिए बहुत सुखद आश्चर्य था। मैं बस लिस्ट में आना भर चाहती थी, क्योंकि यूपीएससी सीएसई में यह मेरा पांचवां प्रयास था और आईएफएस में चौथा। ऐसे में तीसरी रैंक के साथ सलेक्शन अविश्वसनीय था!”
इंटरव्यू राउंड
इंटरव्यू के दौरान 26 वर्ष की अनुराधा से पूछे गए अधिकतर सवाल उनके डीएएफ से थे। वह इस समय तेलंगाना में एडीजी सीआईडी के रूप में तैनात 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी महेश भागवत के प्रति अपना आभार जताती हैं, जिन्होंने पर्सनैलिटी इंटरव्यू के लिए डीएएफ विश्लेषण में उनकी मदद की और गाइड किया।उनसे पूछे गए कुछ सवाल उनके विषयों- फॉरेस्ट्री और पर्यावरण से भी थे, जिनके जवाब वह जानती थीं। उन्होंने कहा, “फिर भी कुछ सवाल मेरे लिए पूरी तरह से नए थे और मैंने इंटरव्यू बोर्ड के सामने ईमानदारी से स्वीकार किया कि इनके जवाब नहीं जानती।”
आईएफएस क्यों?
यह पूछने पर कि वह आईएफएस अधिकारी क्यों बनना चाहती थीं, अनुराधा का सरल जवाब था। उन्होंने कहा, “यह एक ऑल इंडिया सर्विस है, जो अपनी सर्विस प्रोफाइल में बहुत डायवर्स है। आईएफएस में शामिल होकर मैं समाज निर्माण और प्रकृति को बचाने में योगदान दे सकती हूं। खासकर आज के समय मेंस जब हम क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण प्रदूषण जैसे खतरों का सामना कर रहे हैं।उनका मानना है कि एक चीज, जिसने उन्हें इस प्रयास में परीक्षा पास करने में बहुत मदद की, वह थी मेहनत के साथ लगातार लगे रहना।
सलाह
जो लोग इस साल परीक्षा पास नहीं कर पाए, उनके लिए अनुराधा का एक खास संदेश है। वह सलाह देती है: “अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट पर ध्यान दें। PYQ से गुजरें और उसके हिसाब से पढ़ाई करें। टेस्ट की प्रैक्टिस करते रहें। साथ ही तय समय में जवाब लिखने की प्रैक्टिस भी करते रहें।उन्होंने यह भी कहा कि जीके और अंग्रेजी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि थोड़ी-सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
अब आगे
अनुराधा ने यूपीएससी सीएसई में एक और बार बैठने की योजना बनाई है, क्योंकि वह आईएएस अधिकारी बनना चाहती हैं। इस बीच, आईएफएस अधिकारी के रूप में वह फॉरेस्ट कवर और उसकी क्वालिटी पर काम करने, इंसान और वाइल्ड लाइफ के बीच संघर्ष कम करने के अलावा जंगलों में रहने वालों के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाने की कोशिश करने की योजना बना रही हैं।
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