यूपीएससी-2022 में 9 वीं रैंक लाने वाली कनिका गोयल ने कैसे पूरा किया अपना 10 साल पुराना ख्वाब
- Bhakti Kothari
- Published on 31 May 2023, 4:00 pm IST
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हाइलाइट्स
- हरियाणा की गोयल को देश भर में मिला नौवां स्थान
- संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में दूसरे प्रयास में मिली सफलता
- कनिका राष्ट्र निर्माण में देना चाहती हैं अपना योगदान
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2022 में कनिका गोयल भी टॉपरों में शुमार हैं। माता-पिता की इकलौती संतान कनिका ने सफलता से उन्हें गौरवान्वित किया है। कनिका का सपना शुरू से ही माता-पिता को अपने ऊपर गर्व कराने का था। इसी वजह से वह दूसरे प्रयास में UPSC CSE में देश भर में 9वीं रैंक लाने में सफल रहीं।
इंडियन मास्टरमाइंड्स ने उनसे बातचीत कर उनकी इस यात्रा के बारे में जाना।
बचपन का सपनाः
हरियाणा के कैथल की रहने वाली कनिका ने पहली बार आईएएस अधिकारी बनने का सपना तब देखा था, जब वह सातवीं में थीं। इस बात को हालांकि अब दस साल बीत गए, लेकिन उन्होंने वह पा लिया, जो उन्हें चाहिए था। दिल्ली में श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन से ग्रेजुएशन करने से पहले उन्होंने कैथल के हिंदू गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की।
उनके परिवार वालों ने हमेशा साथ निभाया। कनिका का मानना यह बेहतरीन रैंक उनकी नहीं है, बल्कि उनके परिवार वालों की है। इसलिए उनकी मदद और मार्गदर्शन के बिना वह इतने अच्छे मार्क्स नहीं ला सकती थीं।
कनिका कहती हैं, ‘एक आईएएस अधिकारी को जमीनी स्तर पर काम कर कई लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का मौका मिलता है। इसी बात को लेकर मैं शुरू से सिविल सेवा परीक्षा पास करना चाहती थी।’
इस बार की टॉपर इशिता (पहली रैंक) की तरह कनिका ने भी पीएसआईआर को अपना वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था। उन्हें पता था कि इस विषय पर उनकी मजबूत पकड़ है।
कनिका अपने पहले प्रयास यानी यूपीएससी सीएसई-2021 में भी आखिरी दौर यानी इंटरव्यू तक पहुंची थीं, लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो सकीं। उन्होंने अपनी तैयारी योजना को ठीक किया और रीजनिंग और एलिमिनेशन तकनीक को चुना।
उन्होंने अपने नंबर बढ़ाने पर जोर दिया और इसी तरह सभी विषयों पर ध्यान दिया। खासकर अपने वैकल्पिक विषय पर। यह उनके लिए काम आया। इससे उन्हें न केवल परीक्षा के सभी चरणों में अधिक मार्क्स लाने में मदद मिली, बल्कि इसकी बदौलत ही उन्होंने शानदार रैंक भी हासिल की।
कनिका ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से कहा, ‘मैंने किसी भी कोचिंग संस्थान से पढ़ाई नहीं की, लेकिन ऑनलाइन वेबिनार्स और कुछ क्रैश कोर्स में दाखिला लिया था।’
कविता में रुचिः
‘आई एम मीन्ट टू फ्लाई’.. यह कविता कनिका ने इंटरव्यू लेने वाली समिति को सुनाया था। शायद इसी कविता ने किस्मत के दरवाजे खोल दिए। इंटरव्यू लेने वाले अधिकारियों ने उर्दू के महान शायर मिर्जा गालिब की कविता ‘उड़ने दो इन परिंदों को… ’ पर उनका नजरिया जाना।
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या किसी संगठन को अपने मातहतों को अपनी इच्छाएं रखने देनी चाहिए और नौकरी में आवश्यक होने के बावजूद कहीं और अपना भाग्य आजमाना चाहिए।
इस पर कनिका ने कहा, ‘हां, एक संगठन में परिश्रम और अनुशासन साथ-साथ चलते हैं। नीचे काम करने वालों के पास भी अपनी आवाज़ उठाने और अपने सुझाव देने के लिए एक मंच होना चाहिए। जैसे गूगल के ऑफिस में होता है। इसलिए इन कंपनियों को सफल माना जाता है।’
अविश्वसनीय क्षणः
जिस दिन रिजल्ट आने वाले थे, कनिका काफी नर्वस थीं। चूंकि कई लोग एक ही नाम से हो सकते हैं, इसलिए वह अपने नाम के बजाय रोल नंबर से रिजल्ट देख रही थीं। जैसे ही उन्होंने अपने रोल नंबर के शुरुआती कुछ अंक टाइप किए, उन्हें अपना रिजल्ट टॉप-10 में ही दिखने लगा। फिर भी पूरा रोल नंबर टाइप करती रहीं।
उन्होंने इंडियन मास्टर माइंड्स से कहा, ‘मैंने कई बार वेरीफाई किया कि मेरा नाम और रोल नंबर मिल रहा है या नहीं। क्या है यह सच है कि मैंने टॉप 10 में अपनी जगह बनाई है.. मैं अपनी रैंक देखकर बहुत खुश हुई और तुरंत माता-पिता से लिपट गई। उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। उस पल से बेहतर कोई और अहसास नहीं हो सकता था।’
कनिका ने देश की बेहतरी में योगदान देने की योजना बनाई है। अब वह जल्द ही आईएएस अधिकारी बन जाएंगी। वह 2047 में भारत की आजादी के सौवें साल के जश्न का हिस्सा बनना चाहती हैं और ‘अमृत काल’ को अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती हैं।
अन्य के लिए संदेशः
कनिका के पास यूपीएससी की तैयारी करने वालों और इस साल सफल नहीं होने वालों के लिए भी बेहतरीन संदेश है। वह कहती हैं, ‘हर व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है। मैं पिछले साल सफल नहीं हो सकी थी और इस साल अपने सपने को पूरा किया। इंटरव्यू तक पहुंचने वाले सभी समान ही होते हैं।’
कनिका कहती हैं, ‘यह महज कुछ अंकों का अंतर है, इसलिए उन्हें नतीजों को लेकर हताश होने की जरूरत नहीं है। असलियत में यह उनकी ताकत का स्रोत और सफलता के लिए एक सीढ़ी होनी चाहिए। ठीक उसी तरह, जैसे जब आप एक गेंद को जमीन पर जोर से फेंकते हैं तो वह और भी अधिक बल के साथ वापस ऊपर की ओर आती है। आपको भी ऐसा ही करना चाहिए।’
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