मॉडलिंग की दुनिया से अफसर तक का सफर – मिस इंडिया फाइनलिस्ट की कहानी
- Indian Masterminds Bureau
- Published on 22 Sep 2021, 3:49 pm IST
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हाइलाइट्स
- सौंदर्य स्पर्धा में खूबसूरती का मतलब सुंदरता और बुद्दिमत्ता दोनों को प्रदर्शित करना होता है। मिस इंडिया फाइनलिस्ट रहीं ऐश्वर्या श्योराण से बेहतर यह कोई नहीं समझ सकता, जिन्होंने साल 2019 में यूपीएससी परीक्षा में शानदार तरीके से परचम लहराया।
- ऐश्वर्या श्योराण: बदलाव की आहट (क्रेडिट: ऐश्वर्या सोशल मीडिया पेज)
सिविल सेवा को भारत में अक्सर एक ऐसे मुकाम के रूप में देखा जाता है, जहां पहुंचना हर वर्ग के प्रतिभावान युवा का सपना होता है। चाहे समाज के सबसे निचले पायदान पर बैठा किसी गरीब का बेटा हो या अमीरी में पला-बढ़ा कोई शहरी युवा, देश की भावी पीढ़ी पर नौकरशाही का जादू आज भी पहले जैसा है।
साल 2019 के यूपीएससी परीक्षा के अंतिम परिणामों में एक नाम ऐसा भी रहा जो कभी चका-चौंध से भरी मॉडलिंग की दुनिया में बड़ा नाम कमा रहा था, लेकिन उसने अपने पहले ही प्रयास में देश भर में 93 वीं रैंक हासिल कर कई स्थापित मानकों को तोड़ दिया। पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट और बेहद प्रतिभावान ऐश्वर्या श्योराण ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर बिना कोचिंग लिए ही सिर्फ 10 महीने की अवधि में भारत की सबसे मुश्किल परीक्षा पास कर ली।
ऐश्वर्या मूलरूप से राजस्थान के चूरू जिले के गांव चुबकिया ताल की रहने वाली हैं। उनका परिवार अब दिल्ली में रहता है। वह एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं, उनके पिता अजय श्योराण भारतीय सेना में कर्नल के पद पर हैं। उनकी तैनाती इस समय तेलंगाना के करीमनगर में एनसीसी बटालियन के कमांडिंग अधिकारी के रूप में है। उन्होंने ही ऐश्वर्या को सिविल सेवा में आकर राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। और शायद अपने पिता से ही उन्हें एक बेहतर शागिर्द होना और सैन्य बलों का अनिवार्य अनुशासन विरासत में मिला, जिसने ऐश्वर्या के इरादों को हमेशा मजबूत बनाया।
ऐश्वर्या की मां एक ग्रहणी हैं और उन्होंने ऐश्वर्या का नाम मशहूर अदाकारा और पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय बच्चन के नाम पर रखा था। उनकी मां हमेशा से चाहती थीं कि उनकी बेटी मिस इंडिया बने।
यूपीएससी बनी मंजिल
ऐश्वर्या ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित संस्कृत स्कूल से की है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ‘श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स’ से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। अपने स्कूल के दिनों से ही ऐश्वर्या शिक्षा के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों (एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज) में प्रशंसा और मेडल दोनों पा रही थीं। लेकिन उन्हें अपनी वास्तविक मंजिल का एहसास तब हुआ जब वो क्लास 12 में आईं। क्लास की हेड गर्ल होने के नाते उन्हें स्कूल आने वाले बहुत से नौकरशाहों से मिलने का मौका मिला। इन मुलाकातों ने ऐश्वर्या को एहसास दिलाया कि उनकी असल मंजिल सिविल सेवा है।
अपने एक इंटरव्यू में ऐश्वर्या कहती हैं कि उन्होंने मॉडलिंग को हमेशा एक शौक के तौर पर लिया। उनका असली लक्ष्य सिविल सेवा ही था और इसीलिए उन्होंने मॉडलिंग से ब्रेक लेकर इसकी तैयारी करने का फैसला किया। सिर्फ 10 महीने में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और खास बात यह है कि इसके लिए कोई कोचिंग नहीं ली। ऐश्वर्या का कहना है कि अपनी पढ़ाई के वक्त वह फोन और सोशल मीडिया बंद कर देती थीं। यह परिणाम उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का ही प्रतिफल है। उनके छोटे भाई एक नवोदित क्रिकेटर हैं और उसने ऐश्वर्या के नोट्स तैयार करने में बहुत मदद की। जबकि उनके माता-पिता ने उन्हें इंटरव्यू की तैयारी में सहायता की।
मॉडलिंग के दिन
ऐश्वर्या ने मॉडलिंग की दुनिया में 2014 में प्रवेश किया और ‘दिल्ली टाइम्स फ्रेश फेस’ का खिताब अपने नाम किया। साल 2015 में उन्होंने एक और सौंदर्य प्रतियोगिता ‘मिस क्लीन एंड क्लियर’ जीती। 2016 में ‘कैंपस प्रिंसेस दिल्ली’ प्रतियोगिता में ऐश्वर्या को ‘ब्यूटी विद ए परपज’ नाम से नवाजा गया। उन्हीं दिनों, उन्होंने प्रतिष्ठित ‘फेमिना मिस इंडिया 2016’ में भाग लिया और शीर्ष 21 फाइनलिस्टों में चुनी गईं। ऐश्वर्या बॉम्बे टाइम्स फैशन वीक, लैक्मे फैशन वीक और अमेजन फैशन वीक जैसे विभिन्न स्टाइल शोज में रैंप वॉक कर चुकी हैं। उन्होंने मनीष मल्होत्रा जैसे देश के बड़े डिजाइनरों के साथ काम किया है। इसके अलावा, वह एक गैर सरकारी संगठन ‘मोक्ष फाउंडेशन’ के साथ भी जुड़ी हुई है, जहां वह वंचित और उपेक्षित बच्चों को पढ़ाती हैं। मॉडलिंग के साथ-साथ सिविल सेवाओं में अपनी सफलता से ऐश्वर्या ने कई स्थापित परंपराओं को तोड़ा है। उन्होंने साबित किया कि निर्भीक और दृढ़निश्चयी लोग बनी-बनाई सीमाओं को तोड़कर सफलता के सातवें आसमान पर पहुंच सकते हैं।
नई जिम्मेदारी
सिविल सेवा को लेकर अपने अनुभव के बारे में ऐश्वर्या कहती हैं कि अब एक सिविल सेवक वो है, जो एक बहुआयामी व्यक्तित्व वाला हो, जिस तक आसानी से आम जनता पहुंच सकती हो और वो लोगों के बीच अधिक स्वीकृति रखता हो।
अपने यूपीएससी साक्षात्कार के बारे में बात करते हुए ऐश्वर्या बताती हैं कि उनसे कई मुद्दों पर सवालों के अलावा, खाप पंचायतों के बारे में भी पूछा गया। उनसे सवाल किया गया कि क्या वो मानती हैं कि खाप पंचायतें अभी भी प्रासंगिक हैं! इस सवाल के अपने जवाब को याद करते हुए वह कहती हैं, “मैंने जवाब दिया था कि खाप पंचायतों को सुप्रीम कोर्ट ने भी अवैध करार दिया है। ये पितृसत्तात्मक केंद्र के रूप में कार्य करती हैं और अक्सर महिला विरोधी फैसले देती हैं। यदि इन पंचायतों को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी है तो उन्हें अपनी ताकत का सही तरीके से इस्तेमाल करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, वे सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।”
ऐश्वर्या जाट समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और यह मानती हैं कि उनका समुदाय महिलाओं को निर्णय लेने में समान भागीदारी नहीं प्रदान करने के लिए बदनाम है। हालांकि इस मामले में वह एक अपवाद ही रहीं हैं। मिस इंडिया प्रतियोगिता के दौरान भी उनके समुदाय ने उन्हें पूरा सहयोग दिया। लेकिन ऐसा सैकड़ों लड़कियों में से कहीं किसी एक के साथ होता है। यही बातें ऐश्वर्या को सिविल सेवा में शामिल होकर बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती रहीं।
ऐश्वर्या के जीवन का फलसफा है – सफल होने के लिए आपकी सफलता की दृढ़ इच्छा शक्ति, आपकी असफलता के डर से बड़ी होनी चाहिए। अपने इस फलसफे को उन्होंने अपने जीवन में पूरी तरह उतार लिया और वह इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कोई भी अपनी कड़ी मेहनत से वह सब कुछ हासिल कर सकता है जिसके सपने देखता है। ऐश्वर्या भारत में महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में काम करना चाहती हैं। वह किरण बेदी, लक्ष्मी राणा, कार्ली क्लॉस और हिलेरी क्लिंटन जैसी महिलाओं में अपनी प्रेरणा पाती हैं। ऐश्वर्या हमारे समाज की ‘ब्यूटी विद ब्रेन’ (बौद्धिक सुंदरी) अवधारणा की सबसे बेहतरीन प्रतिमूर्ति हैं।
एक नौकरशाह के रूप में, ऐश्वर्या कहती हैं कि उनकी प्राथमिकताओं में शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे सबसे अहम हैं और इनके तहत वह बदलाव लाने की कोशिश करेंगी।
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