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बार-बार की विफलताएं भी नहीं तोड़ सकीं उनका उत्साह, आईएफएस में शामिल होकर ही छोड़ा
- Pallavi Priya
- Published on 21 Jul 2023, 10:26 am IST
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हाइलाइट्स
- IES अधिकारी के रूप में कार्यरत पवन गुप्ता ने पांचवीं कोशिश में पाई UPSC IFS 2022 में सफलता
- सिविल सर्विसेज के लिए दो बार इंटरव्यू देने के बाद भी वह फाइनल लिस्ट की कट-ऑफ से चूक गए थे
- वह सबसे खराब स्थिति के लिए पहले से योजना बनाने और करियर के दूसरे ऑप्शन भी तलाशने की सलाह देते हैं
यदि आप कड़ी मेहनत करने के बाद भी लक्ष्य से जरा-सा भी चूक जाते हैं, तो जाहिर तौर पर आप बहुत निराश होंगे। लेकिन, उस समय खुद पर अधिक विश्वास करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसलिए कि ‘कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।’जैसा कि कहा जाता है- आप तभी हारते हैं, जब आप प्रयास करना बंद कर देते हैं। ऐसी ही कहानी है पवन गुप्ता की, जिन्होंने यूपीएससी आईएफएस-2022 को AIR 90 के साथ क्रैक किया। आगरा के रहने वाले और छोटे व्यवसायी के बेटे को इस दौरान अपने दुर्भाग्य से भी खूब जूझना पड़ा। लेकिन उन्होंने बार-बार कोशिश करने के लिए खुद को प्रेरित करना कभी नहीं छोड़ा। आखिरकार, उन्होंने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की फाइनल लिस्ट में जगह बना ली। अब ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं।
उतार-चढ़ाव
उन्होंने एनआईटी दुर्गापुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया है। वह कॉलेज से 2014 में निकले। हालांकि, वह छोटी उम्र से ही एक नौकरशाह बनना चाहते थे। फिर भी पैसे के कारण टाटा मोटर्स में नौकरी कर ली। नौकरी करते हुए ही उन्होंने 2015 में यूपीएससी सीएसई की परीक्षा दी, लेकिन प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सके। उनके लिए नौकरी और पढ़ाई में तालमेल बैठाना मुश्किल था। इसलिए उन्होंने 2016 में नौकरी छोड़ दी। फिर से परीक्षा में बैठे, लेकिन फिर असफल रहे। 2017 में भी वह प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर सके।वैसे 2018 उनके लिए थोड़ी किस्मत लेकर आया, क्योंकि इस बार उन्होंने सीएसई और आईएफएस दोनों के लिए प्रीलिम्स पास कर लिया। हालांकि वह सिविल सर्विसेज के मेन्स को पास नहीं कर सके। आईएफएस के लिए भी इंटरव्यू राउंड तक ही पहुंच पाए। इसके बाद वह एक तरह के सदमे में चले गए। उनके लिए इस बात से उबरना मुश्किल था कि एक बार फिर उनकी ट्रेन छूट गई। लेकिन, नियति ने उनके लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी। वह पहले ही इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा में शामिल हो चुके थे और प्रीलिम्स भी पास कर चुके थे। इसलिए, उन्होंने बाकी सभी चीजों से एक साल की छुट्टी ले ली और सिर्फ आईईएस क्लियर करने पर ध्यान लगाया।
थक गया हूं पढ़ाई से
2018 में श्री गुप्ता सीएसई के इंटरव्यू में सफल होने को लेकर बहुत पॉजिटिव थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। आईएफएस की अंतिम सूची में भी उनका नाम नहीं था। अब उनके पास नौकरी भी नहीं थी। आगे परीक्षा में सफलता की गारंटी भी नहीं थी। उस दौर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ”यह मेरे लिए वाकई मुश्किल था। मैं हर हाल में नौकरी चाहता था। मैं दिल्ली में अकेले रहकर पढ़ाई करते-करते थक गया था। मैं बुरी तरह हताश हो रहा था। एकमात्र चीज जो मुझे देखनी थी, वह आईईएस मेन्स थी। इसलिए मैंने उस पर ही पूरा ध्यान लगाने का फैसला किया।उनका निर्णय काम कर गया। आठ महीने में ही उन्होंने 17वीं रैंक के साथ आईईएस में सफलता पा ली। अब कपूरथला में रेलवे में असिस्टेंट वर्क मैनेजर हैं। इस सफलता ने उनके खोए आत्मविश्वास को वापस लाने में मदद की। वह अधिक सहज महसूस करने लगे और अधिक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि नौकरी ने उन्हें आत्मविश्वास जरूर दिया, लेकिन वह अभी भी इस सफलता से संतुष्ट नहीं थे। खुद को और अधिक के लिए प्रेरित करते रहे। लेकिन उनके लिए नौकरी के साथ पढ़ाई करना मुश्किल हो गया। फिर भी, उन्होंने एक समय में छोटा-सा एक कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित किया और पढ़ाई में अपनी निरंतरता बनाए रखी।2020 में उन्होंने सीएसई और आईएफएस दोनों के लिए इंटरव्यू दिया, लेकिन फिर से अंतिम सूची से चूक गए। उन्हें अपने IES की ट्रेनिंग के कारण 2021 का प्रयास छोड़ना पड़ा। इसलिए कि उन्होंने आईईएस में शामिल होने से पहले एक साल की छुट्टी ले ली थी। लेकिन आखिरकार वह अच्छी खबर आ ही गई, जिसका वह इंतजार कर रहे थे। वैसे तो 2022 में वह सीएसई की अंतिम सूची में जगह नहीं बना सके, लेकिन आईएफएस में शामिल होने में सफल हो गए।
ऑप्शन चुनना
श्री गुप्ता ने सीएसई में अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में मैकेनिकल इंजीनियरिंग को चुना और आईएफएस परीक्षा के लिए फॉरेस्ट्री को दूसरे ऑप्शनल के रूप में जोड़ा। यह उनके लिए सोचा-समझा फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें ऑप्शनल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपना ग्रेजुएशन वाला विषय ही ले लिया। विषय बहुत विशाल है और इसमें बहुत सारी कमियां हैं, क्योंकि यह सामान्य विज्ञान की तैयारी में मदद नहीं करता है। फिर भी वह इस पर अड़े रहे, क्योंकि मेन्स में उन्होंने इसमें अच्छा स्कोर किया था।
उन्होंने कहा, “हालांकि यह विषय विशाल है और यह फॉरेस्ट और इंजीनियरिंग सर्विसेज जैसी अन्य परीक्षाओं में अवसर खोलता है। इसलिए, किसी को तो इसे चुनने का निर्णय लेना होगा।”
कैसे की तैयारी
यूपीएससी सीएसई में मैकेनिकल इंजीनियरिंग का सिलेबस दरअसल ग्रेजुएशन में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस से बहुत अलग है। इसके बारे में गहरी समझ होनी चाहिए। इसलिए श्री गुप्ता ने केवल पिछले वर्ष के प्रश्नों और संक्षिप्त रूप में नोट्स बनाने पर ध्यान लगाया। इसके बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “मैंने विषयों (सिविल, फॉरेस्ट और इंजीनियरिंग सेवाओं) के लिए पिछले वर्ष के सभी प्रश्न एकत्र किए। मैं किसी विषय पर सभी समान प्रकार के प्रश्न एक ही स्थान पर एकत्रित करता था। इससे मेरे नोट्स संक्षिप्त हो गए और मुझे किताब को कई बार खोलने की जरूरत नहीं पड़ी।”उन्होंने नोट्स बनाने की एक ट्रिक शेयर करते हुए बताया कि नोट्स इस तरह बनाएं कि उसे 5 दिन के अंदर रिवाइज किया जा सके। जब उनसे पूछा गया कि प्रीलिम्स की तैयारी कैसे करें, तो उन्होंने कहा- “पैटर्न चाहे कितना भी बदल जाए, बेसिक्स पर मजबूत पकड़ वाला कोई भी व्यक्ति इसे पास कर सकता है। कई उत्तरों के बजाय सही उत्तर देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
खुले रखें ऑप्शन
अंत में उन्होंने कहा कि यूपीएससी सीएसई या कोई अन्य परीक्षा जीवन का अंत नहीं है। सबसे खराब स्थिति को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए और करियर के दूसरे विकल्पों के लिए भी प्रयास करना चाहिए। कुछ नहीं तो अपने वैकल्पिक विषय में मास्टर या उच्च अध्ययन करना चाहिए, जो एक अच्छा करियर विकल्प बन सकता है। उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए खुद को बाहरी दुनिया से अलग करके एक कमरे में न बैठने की भी सलाह दी।
उन्होंने कहा, “अगर आपने अपनी कोचिंग पूरी कर ली है, तो कोई भी जगह आपको कुछ और नहीं दे सकती। मैं यूपीएससी की तैयारी करने वालों को अपने परिवार के साथ रहने की सलाह दूंगा। खुद को सताना सही नहीं है। परिवार आपको वह खुशहाल और स्वस्थ वातावरण देता सकता है, जो इस परीक्षा को पास करने के लिए जरूरी है। ”
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