पिता की मौत के सदमे से उबरकर यूपीएससी में लाई 37वीं रैंक
- Ayodhya Prasad Singh
- Published on 6 Jun 2023, 10:38 am IST
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हाइलाइट्स
- चैतन्य अवस्थी ने पहली ही कोशिश में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में मारी बाजी
- पिता की अचानक हुई मौत के बाद टूट गया था दिल, गहरे सदमे में चले गए थे
- उस नाजुक हालात में मां ने दिया साथ, और मिल गई मंजिल
यूपीएससी निकालने का संघर्ष कानपुर के चैतन्य अवस्थी (Chaitanya Awasthi) के लिए दोगुना हो गया था। लय बरकरार रखने के लिए उन्हें अपनी भावनाओं से भी जूझना पड़ा था। इसलिए कि पिता की अचानक हुई मौत के बाद वह टूट गए थे।
मई 2021 में चैतन्य दिल्ली जाकर सिविल सेवा की तैयारी करना चाहते थे। इसलिए कि पिता यही चाहते थे। उनकी इच्छा बेटे को आईएएस अधिकारी के रूप में देखने की थी। लेकिन, वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने उनकी पिता की जिंदगी लील ली और उनके परिवार को सदमे में छोड़ गया। चैतन्य की योजना ने शुरू होने से पहले ही दम तोड़ दिया। वह इस कड़वी सच्चाई को हजम नहीं कर पा रहे थे और डिप्रेशन में जाने के कगार पर पहुंच गए थे। लेकिन इस आघात को उनसे भी अधिक झेल रहीं उनकी मां ने तब भी पूरा साथ दिया। उन्हें याद दिलाया कि यूपीएससी में सफल होकर वह पिता के सपने को अभी भी पूरा कर सकते हैं।
चैतन्य ने इसे चुनौती के रूप में लिया। अपनी स्टडी टेबल पर पिता की तस्वीर रखी और पूरी लगन से यूपीएससी की तैयारी करने में जुट गए। घर में बैठकर सिर्फ 11 महीने की तैयारी में ही उन्होंने इस साल UPSC CSE में देश भर में 37वां स्थान हासिल कर लिया। कठिन हालात और कम संसाधनों के बीच उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह अपनी पहली कोशिश को ही अंतिम मान कर तैयारी कर रहे थे।
चैतन्य ने इंडियन मास्टरमाइंड्स से बात करते हुए कहा, ‘मैंने अपने पिता के साथ काफी योजनाएं बनाई थीं। उनके साथ काफी सपने देखे थे। ऐसे में जब उन्होंने यात्रा से पहले ही मेरा साथ छोड़ दिया, तो मैं गहरे सदमे में चला गया था। अगर मां नहीं रहती, तो शायद मैं इससे कभी उबर भी नहीं पाता। यह काफी संघर्षपूर्ण यात्रा रही।’
पिता का न रहना:
चैतन्य जब लॉ की पढ़ाई कर रहे थे, उसी वक्त उनके पिता संत शरण अवस्थी कोरोना से जंग हार गए। वह सीनियर पत्रकार थे और कई अखबारों में स्टेट हेड रह चुके थे। इसलिए, चैतन्य ने बचपन से ही ब्यूरोक्रेट्स को काफी नजदीक से देखा था।
जब वह दसवीं में थे, तो पिता इस बात पर विस्तार से चर्चा करते थे कि उन्हें आगे क्या करना है। चैतन्य कहते हैं कि मेरे पिता मुझे आईएएस अधिकारी के रूप में देखना चाहते थे। शायद यही कारण था कि मैं अपने करियर को लेकर काफी स्पष्ट था।
हालांकि, पिता की मृत्यु ने उन्हें और उनके परिवार को घने अंधकार में धकेल दिया था। चैतन्य ने कहा कि उन्हें एक ऐसी परीक्षा में बैठना था, जिसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था।
चैतन्य ने कहा, ‘जब पिता आपके साथ होते हैं तो वह आपको समाज के दबाव, उम्मीदें और दुनियादारी की उन सभी चीजों से बचाते हैं जिससे आप परेशान होते हैं। जब पिता मुझे छोड़कर चले गए, तो मैंने एक नई तरह की परीक्षा का सामना किया। पहले मुझे लगता था कि यूपीएससी के अलावा ऐसी कोई दूसरी परीक्षा नहीं है, जो आपकी इस तरह से शारीरिक और मानसिक शक्ति का परीक्षण लेती हो। लेकिन पिता के जाने के बाद मैंने दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं का ऐसा दौर देखा, जो काफी चुनौतीपूर्ण था। मेरी मां ने मुझे इनसे निकाला और उन्हीं की वजह से आज मैं इस मुकाम पर हूं।’
चैतन्य जब बुरे दौर से गुजर रहे थे, तब उनकी मां प्रतिमा अवस्थी ने उनकी पूरी देखभाल की। इस दौरान उन्होंने उन्हें यह भी सिखाया कि वह जो कर रहे हैं उसे पूरी ईमानदारी के साथ करें।
नौकरी की तरह पढ़ाई कीः
चैतन्य उत्तर प्रदेश के कानपुर से हैं। उनकी दो बहनें हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई रांची से हुई। उन्होंने 10वीं और 12वीं कानपुर के स्वराज इंडिया पब्लिक स्कूल से पूरी की। फिर वह क्लैट निकालने के बाद बीए एलएलबी करने के लिए कोलकाता चले गए और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से 2021 में उन्होंने डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता पढ़ाई को नौकरी की तरह करने के लिए कहते थे। मैंने वैसा ही किया। मैंने रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई की। मां ने मुझे आशावादी रहने की सीख दी और मेरी दो बहनों ने भी इसमें पूरा साथ दिया। नतीजे आने के बाद मैं अपनी मां के गले लगकर घंटों तक रोता रहा।’
ऑपरेशन यूपीएससीः
चैतन्य ने अपने घर से ही पूरी तैयारी की। उनकी बहन ने एक ऑनलाइन कोचिंग में उनका नामांकन करा दिया, जहां उन्होंने घर बैठकर ही कुछ महीने पढ़ाई की। उनकी रणनीति एकदम साफ थी। नजरें मंजिल पर टिकी थीं। उन्होंने सिलेबस को 11 हिस्सों में बांटा और महीने के हिसाब से अपना टारगेट सेट किया। इसके बाद उन्होंने अपने महीने के टारगेट को वीकली में बदल लिया। उन्होंने अपनी दिन की रूटीन को भी तीन हिस्सों में बांट दिया और उसी के अनुरूप पढ़ाई की।
उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट लॉ था। इसके लिए उन्होंने पिछले साल के सवाल, टेस्ट सीरीज और कई बार रिवीजन करने पर ध्यान लगाया। वह अपनी तैयारी की शुरुआत से ही मेन्स के लिए उत्तर लिखने की प्रैक्टिस करने लगे थे।
इंटरव्यू की चुनौतीः
उनका इंटरव्यू काफी बेहतरीन था। उनसे उनके डीएएफ और ऑप्शनल सब्जेक्ट से अधिक प्रश्न पूछे गए थे। उनसे कानपुर के बारे में भी सवाल पूछे गए।
उनसे उनके बायोपिक्स देखने के शौक के बारे में भी पूछा गया। एक सवाल किया गया कि बायोपिक क्यों बन रही हैं? फिर उनसे कानून से भी जुड़े कई सवाल पूछे गए। उनसे पूछा गया कि समलैंगिक विवाह की क्या दिक्कतें हैं? सरकार इसकी पक्षधर क्यों नहीं है? गरीबों के लिए न्यायिक व्यवस्था में कैसे सुधार लाया जा सकता है? क्या गरीबों के लिए भी न्याय समान है? अधिकांश विचाराधीन कैदी जेल में क्यों हैं?
अभ्यर्थियों के लिए टिप्सः
यूपीएससी की तैयारी करने वालों के लिए चैतन्य का सुझाव है कि जो भी यूपीएससी में जाना चाहते हैं, उन्हें स्पष्ट होना चाहिए कि वह क्यों जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘कभी भी सामाजिक दबाव का शिकार न बनें। पॉजिटिव रहें और धैर्य रखें। अटल इरादों के साथ अपनी लड़ाई लड़ें। एक बार जब आप सफल हों जाएं, तो रुकें नहीं या बहुत देर तक इसका जश्न ही नहीं मनाते रहें। बल्कि अगली बड़ी चीज के लिए योजना बनानी शुरू कर दें।’
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